फिर उसने उनसे कहा, “जो कुछ तुम सुनते हो उस पर ध्यानपूर्वक विचार करो, जिस नाप से तुम दूसरों को नापते हो, उसी नाप से तुम भी नापे जाओगे। बल्कि तुम्हारे लिये उसमें कुछ और भी जोड़ दिया जायेगा।
मैं सुसमाचार के लिए शर्मिन्दा नहीं हूँ क्योंकि उसमें पहले यहूदी और फिर ग़ैर यहूदी जो भी उसमें विश्वास रखता है—उसके उद्धार के लिये परमेश्वर की सामर्थ्य है।
किन्तु वे जो उसमें विश्वास नहीं करते, उसका नाम कैसे पुकारेंगे? और वे जिन्होंने उसके बारे में सुना ही नहीं, उसमें विश्वास कैसे कर पायेंगे? और फिर भला जब तक कोई उन्हें उपदेश देने वाला न हो, वे कैसे सुन सकेंगे?
परमेश्वर के वचन को अपने लाभ के लिये, उसमें मिलावट करके बेचने वाले बहुत से दूसरे लोगों जैसे हम नहीं हैं। नहीं! हम तो परमेश्वर के सामने परमेश्वर की ओर से भेजे हुए व्यक्तियों के समान मसीह में स्थित होकर, सच्चाई के साथ बोलते हैं।
परमेश्वर, जो तुम्हें आत्मा प्रदान करता है और जो तुम्हारे बीच आश्चर्य कर्म करता है, वह यह इसलिए करता है कि तुम व्यवस्था के विधान को पालते हो या इसलिए कि तुमने सुसमाचार को सुना है और उस पर विश्वास किया है।
अपनी सम्पन्नता के साथ मसीह का संदेश तुम में वास करे। भजनों, स्तुतियों और आत्मा के गीतों को गाते हुए बड़े विवेक के साथ एक दूसरे को शिक्षा और निर्देश देते रहो। परमेश्वर को मन ही मन धन्यवाद देते हुए गाते रहो।
और इसलिए हम परमेश्वर का धन्यवाद निरन्तर करते रहते हैं क्योंकि हमसे तुमने जब परमेश्वर का वचन ग्रहण किया तो उसे मानवीय सन्देश के रूप में नहीं बल्कि परमेश्वर के सन्देश के रूप में ग्रहण किया, जैसा कि वह वास्तव में है। और तुम विश्वासियों पर जिसका प्रभाव भी है।
क्योंकि हमें भी उन्हीं के समान सुसमाचार का उपदेश दिया गया है। किन्तु जो सुसंदेश उन्होंने सुना, वह उनके लिए व्यर्थ था। क्योंकि उन्होंने जब उसे सुना तो इसे विश्वास के साथ धारण नहीं किया।
तुमने नाशमान बीज से पुर्नजीवन प्राप्त नहीं किया है बल्कि यह उस बीज का परिणाम है जो अमर है। तुम्हारा पुर्नजन्म परमेश्वर के उस सुसंदेश से हुआ है जो सजीव और अटल है।
मैं यूहन्ना तुम्हारा भाई हूँ और यातनाओं, राज्य तथा यीशु में, धैर्यपूर्ण सहनशीलता में तुम्हारा साक्षी हूँ। परमेश्वर के वचन और यीशु की साक्षी के कारण मुझे पत्तमुस नाम के द्वीप में देश निकाला दे दिया गया था।