करीब आधी रात को, बोअज़ ने नींद में अपनी करवट बदली और वह जाग पड़ा। वह बहुत चकित हुआ। उसके पैरों के समीप एक स्त्री लेटी थी।
खाने और पीने के बाद बोअज बहुत सन्तुष्ट था। बोअज अन्न के ढेर के पास लेटने गया। तब रुत बहुत धीरे से उसके पास गई और उसने उसके पैरों का वस्त्र उघाड़ दिया। रूत उसके पैरों के बगल में लेट गई।
बोअज़ ने पूछा, “तुम कौन हो?” उसने कहा, “मैं तुम्हारी दासी रूत हूँ। अपनी चादर मेरे ऊपर ओढ़ा दो। तुम मेरे रक्षक हो।”