रूत अपनी सास, नाओमी के घर गई। नाओमी द्वार पर आई और उसने पूछा, “बाहर कौन हे?” रूत घर के भीतर गई और उसने नाओमी को हर बात जो बोअज़ ने की थी, बतायी।
तब बोअज ने कहा, “अपनी ओढ़नी मेरे पास लाओ। अब, इसे खुला रखो।” इसलिए रूत ने अपनी ओढ़नी को खुला रखा, और बोअज़ ने लगभग एक बुशल जौ उसकी सास नाओमी को उपहार में दिया। तब बोअज़ ने उसे रूत की ओढ़नी में बाँध दिया और उसे उसकी पीठ पर रख दिया। तब वह नगर को गया।
उसने कहा, “बोअज़ ने यह जौ उपहार के रुप में तुम्हें दिया है। बोअज़ ने कहा, कि आपके लिए उपहार लिये बिना, मुझे घर नहीं जाना चाहिये।”