किन्तु यदि किसी विधवा के पुत्र-पुत्री अथवा नाती-पोते हैं तो उन्हें सबसे पहले अपने धर्म पर चलते हुए अपने परिवार की देखभाल करना सीखना चाहिए। उन्हें चाहिए कि वे अपने माता-पिताओं के पालन-पोषण का बदला चुकायें क्योंकि इससे परमेश्वर प्रसन्न होता है।
दोपहर के भोजन के समय, बोअज़ ने रूत से कहा, “यहाँ आओ! हमारी रोटियों में से कुछ खाओ। इधर हमारे सिरके में अपनी रोटी डुबाओ।” इस प्रकार रूत मजदूरों के साथ बैठ गई। बोअज़ ने उसे ढेर सारा भुना अनाज दिया। रूत ने भरपेट खाया और कुछ भोजन बच भी गया।