यहोवा अपने विशाल पवित्र मन्दिर में विराजा है। यहोवा स्वर्ग में अपने सिंहासन पर बैठता है। यहोवा सब कुछ देखता है, जो भी घटित होता है। यहोवा की आँखें लोगों की सज्जनता व दुर्जनता को परखने में लगी रहती हैं।
मैं घिरा हुआ था और यहोवा को सहायता के लिये पुकारा। मैंने अपने परमेश्वर को पुकारा। परमेश्वर पवित्र निज मन्दिर में विराजा। उसने मेरी पुकार सुनी और सहायता की।
मैं इतना दुखी क्यों हूँ? मैं क्यों इतना व्याकुल हूँ? मुझे परमेश्वर के सहारे की बाट जोहनी चाहिए। मुझे अब भी उसकी स्तुति करने का अवसर मिलगा। वह मुझे बचाएगा।
मैं इतना दुखी क्यों हूँ? मैं इतना व्याकुल क्यों हूँ? मुझे परमेश्वर के सहारे की बाट जोहनी चाहिए। मुझे अब भी उसकी स्तुति का अवसर मिलेगा। वह मुझे बचाएगा। हे मेरे परमेश्वर, मैं अति दुखी हूँ। इसलिए मैंने तुझे यरदन की घाटी में, हेर्मोन की पहाड़ी पर और मिसगार के पर्वत पर से पुकारा।
हे परमेश्वर, तूने अपने भक्त चुने हैं। तूने हमको चुना है कि हम तेरे मन्दिर में आयें और तेरी उपासना करें। हम तेरे मन्दिर में बहुत प्रसन्न हैं। सभी अद्भुत वस्तुएं हमारे पास है।
देखो! मेरी विपत्तियाँ समाप्त हुई! अब मेरे पास शांति है। तू मुझ से बहुत अधिक प्रेम करता है! तूने मुझे कब्र में सड़ने नहीं दिया। तूने मेरे सब पाप क्षमा किये! तूने मेरे सब पाप दूर फेंक दिये।
जो व्यक्ति यहोवा का आदर करता है उसे उसके सेवक की भी सुननी चाहिये। वह सेवक, आगे क्या होगा, इसे जाने बिना ही परमेश्वर में पूरा विश्वास रखते हुए अपना जीवन बिताता है। वह सचमुच यहोवा के नाम में विश्वास रखता है और वह सेवक अपने परमेश्वर के भरोसे रहता है।
हे लोगों, तुम सभी सुनो! हे धरती और जो कुछ भी धरती पर है, सुन। मेरा स्वामी यहोवा इस पवित्र मन्दिर से जायेगा। मेरा स्वामी तुम्हारे विरोध में एक साक्षी के रूप में आयेगा।
किन्तु यहोवा इससे भिन्न है! यहोवा अपने पवित्र मन्दिर में रहता है। इसलिये यहोवा के सामने सम्पूर्ण पृथ्वी धरती को चुप रह कर उसके प्रति आदर प्रकट करना चाहिए।
सेना के सभी लोग दु:खी और क्रोधित थे क्योंकी उनकि पुत्र—पुत्रियाँ बन्दी बना ली गई थीं। वे पुरुष दाऊद को पत्थरों से मार डालने की बात कर रहे थे। इससे दाऊद बहुत घबरा गया। किन्तु दाऊद ने अपने यहोवा परमश्वर में शक्ति पाई।