यहूदा ने यह ध्यान भी नहीं दिया कि वह वेश्या की तरह काम कर रही है। अत: उसने अपने देश को ‘गन्दा’ किया। उसने लकड़ी और पत्थर की बनी देवमूर्तियों की पूजा करके व्यभिचार का पाप किया।
मैं (यिर्मयाह) पर्वतों के लिये फूट फूट कर रोऊँगा। मैं खाली खेतों के लिये शोकगीत गाऊँगा। क्यों क्योंकि जीवित वस्तुएँ छीन ली गई। कोई व्यक्ति वहाँ यात्रा नहीं करता। उन स्थान पर पशु ध्वनि नहीं सुनाई पड़ सकती। पक्षी उड़ गए हैं और जानवर चले गए हैं।
क्या मुझे यहूदा के लोगों को इन कामों के करने के लिये दण्ड नहीं देना चाहिए” यह सन्देश यहोवा का है। “तुम जानते हो कि मुझे इस प्रकार के लोगों को दण्ड देना चाहिए। मैं उनको वह दण्ड दूँगा जिसके वे पात्र हैं।”
वह सेना इस धरती को धधकती आग जैसे तहस—नहस कर देगी। सेना के आगे की भूमी वैसी ही हो जायेगी जैसे एदेन का बगीचा और सेना के पीछे की धरती वैसी हो जायेगी जैसे उजड़ा हुआ रेगिस्तान हो। उनसे कुछ भी नही बचेगा।
आमोस ने कहा: “यहोवा सिय्योन में सिंह की तरह दहाड़ेगा। यहोवा की दहाड़ यरूशलेम से होगी। गड़ेरियों के हरे मैदान सूख जायेंगे। यहाँ तक कि कर्म्मेल पर्वत भी सूखेगा।”
मेरे स्वामी यहोवा ने मुझे ये चीजें दिखाई; मैंने देखा कि यहोवा परमेश्वर अग्नि को वर्षा की तरह बरसने के लिए बुला रहा है। अग्नि ने विशाल गहरे समुद्र को नष्ट कर दिया। अग्नि भूमि को चट करने लगी।
सो क्या परमेश्वर अपने चुने हुए लोगों पर ध्यान नहीं देगा कि उन्हें, जो उसे रात दिन पुकारते रहते हैं, न्याय मिले? क्या वह उनकी सहायता करने में देर लगायेगा?