यीशु ने जिस दिन मिट्टी सानकर उस अंधे को आँखें दी थीं वह सब्त का दिन था।
ऐसा हुआ कि सब्त के दिन यीशु खेतों से होता हुआ जा रहा था। जाते जाते उसके शिष्य खेतों से अनाज की बालें तोड़ने लगे।
एक बार सब्त के दिन प्रमुख फरीसियों में से किसी के घर यीशु भोजन पर गया। उधर वे बड़ी निकटता से उस पर आँख रखे हुए थे।
क्योंकि यीशु ने ऐसे काम सब्त के दिन किये थे इसलिए यहूदियों ने उसे सताना शुरू कर दिया।
वह आदमी तत्काल अच्छा हो गया। उसने अपना बिस्तर उठाया और चल दिया। उस दिन सब्त का दिन था।
उस व्यक्ति को जो पहले अंधा था, वे लोग फरीसियों के पास ले गये।
इतना कहकर यीशु ने धरती पर थूका और उससे थोड़ी मिट्टी सानी उसे अंधे की आंखों पर मल दिया।