तब परमेश्वर ने मूसा से कहा, “उनसे कहो, ‘मैं जो हूँ सो हूँ।’ जब तुम इस्राएल के लोगों के पास जाओ, तो उनसे कहो, ‘मैं हूँ’ जिसने मुझे तुम लोगों के पास भेजा है।”
“मैं तो सदा से ही परमेश्वर रहा हूँ। जब मैं कुछ करता हूँ तो मेरे किये को कोई भी व्यक्ति नहीं बदल सकता और मेरी शक्ति से कोई भी व्यक्ति किसी को बचा नहीं सकता।”
यहोवा इस्राएल का राजा है। सर्वशक्तिमान यहोवा इस्राएल की रक्षा करता है। यहोवा कहता है, “परमेश्वर केवल मैं ही हूँ। अन्य कोई परमेश्वर नहीं है। मैं ही आदि हँ। मैं ही अंत हूँ।
“डरो मत, चिंता मत करो! जो कुछ घटने वाला है, वह मैंने तुम्हें सदा ही बताया है। तुम लोग मेरे साक्षी हो। कोई दूसरा परमेश्वर नहीं है। केवल मैं ही हूँ। कोई अन्य ‘शरणस्थान’ नहीं है। मैं जानता हूँ केवल मैं ही हूँ।”
“याकूब, तू मेरी सुन! हे इस्राएल के लोगों, मैंने तुम्हें अपने लोग बनने को बुलाया है। तुम इसलिए मेरी सुनों! मैं परमेश्वर हूँ, मैं ही आरम्भ हूँ और मैं ही अन्त हूँ।
यह सब कुछ तब घटेगा जब उस विशेष बच्चे का जन्म होगा। परमेश्वर हमें एक पुत्र प्रदान करेगा। यह पुत्र लोगों की अगुवाई के लिये उत्तरदायी होगा। उसका नाम होगा: “अद्भुत, उपदेशक, सामर्थी परमेश्वर, पिता—चिर अमर और शांति का राजकुमार।”
हे बेतलेहेम एप्राता, तू यहूदा का छोटा नगर है और तेरा वंश गिनती में बहुत कम है। किन्तु पहले तुझसे ही “मेरे लिये इस्राएल का शासक आयेगा।” बहुत पहले सुदूर अतीत में उसके घराने की जड़े बहुत पहले से होंगी।
“हे परम पिता। जो लोग तूने मुझे सौंपे हैं, मैं चाहता हूँ कि जहाँ मैं हूँ, वे भी मेरे साथ हों ताकि वे मेरी उस महिमा को देख सकें जो तूने मुझे दी है। क्योंकि सृष्टि की रचना से भी पहले तूने मुझसे प्रेम किया है।
फिर यीशु ने उनसे कहा, “जब तुम मनुष्य के पुत्र को ऊँचा उठा लोगे तब तुम जानोगे कि वह मैं हूँ। मैं अपनी ओर से कुछ नहीं करता। मैं यह जो कह रहा हूँ, वही है जो मुझे परम पिता ने सिखाया है।
वह कह रही थी, “जो कुछ तू देख रहा है, उसे एक पुस्तक में लिखता जा और फिर उसे इफिसुस, स्मुरना, पिरगमुन, थूआतीरा, सरदीस, फिलादेलफिया और लौदीकिया की सातों कलीसियाओं को भेज दे।”