हर समय करने के लिये तुम्हारे पास काम है। इसे तुम जितनी उत्तमता से कर सकते हो करो। कब्र में तो कोई काम होगा ही नहीं। वहाँ न तो चिन्तन होगा, न ज्ञान और न विवेक और मृत्यु के उस स्थान को हम सभी तो जा रहे हैं।
मैंने इन गत तेईस वर्षों में यहोवा के सन्देशों को तुम्हें बार—बार दिया है। मैं यहूदा के राजा आमोन के पुत्र योशिय्याह के राज्यकाल के तेरहवें वर्ष से नबी हूँ। मैंने उस समय से आज तक यहोवा के यहाँ से सन्देशों को तुम्हें दिया है। किन्तु तुमने उसे अनसुना किया है।
“उन लोगों को सहायता के लिये मेरे पास आना चाहिये था। लेकिन उन्होंने मुझसे अपना मुँह मोड़ा। मैंने उन लोगों को बार—बार शिक्षा देनी चाही किन्तु उन्होंने मेरी एक न सुनी। मैंने उन्हें सुधारना चाहा किन्तु उन्होंने अनसुनी की।
मैंने अपने नबी उन लोगों के पास बार बार भेजे। वे नबी मेरे सेवक थे। उन नबियों ने मेरे सन्देश दिये और लोगों से कहा, ‘यह भयंकर काम न करो जिससे मैं घृणा करता हूँ। क्योंकि तुम देवमूर्तियों की पूजा करते हो?’”
उसी समय यीशु ने भीड़ से कहा, “तुम तलवारों, लाठियों समेत मुझे पकड़ने ऐसे क्यों आये हो जैसे किसी चोर को पकड़ने आते हैं? मैं हर दिन मन्दिर में बैठा उपदेश दिया करता था और तुमने मुझे नहीं पकड़ा।
यीशु उनमें से एक नाव पर चढ़ गया जो कि शमौन की थी, और उसने नाव को किनारे से कुछ हटा लेने को कहा। फिर वह नाव पर बैठ गया और वहीं नाव पर से जनसमूह को उपदेश देने लगा।
जब उन्होंने यह सुना तो भोर के तड़के वे मन्दिर में प्रवेश कर गये और उपदेश देने लगे। फिर जब महायाजक और उसके साथी वहाँ पहुँचे तो उन्होंने यहूदी संघ तथा इस्राएल के बुजुर्गों की पूरी सभा बुलायी। फिर उन्होंने बंदीगृह से प्रेरितों को बुलावा भेजा।