उस समय, वहाँ एक राह बन जायेगी और इस राजमार्ग का नाम होगा “पवित्र मार्ग”। उस राह पर अशुद्ध लोगों को चलने की अनुमति नहीं होगी। कोई भी मूर्ख उस राह पर नहीं चलेगा। बस परमेश्वर के पवित्र लोग ही उस पर चला करेंगे।
बहुत से लोगों को शुद्ध किया जायेगा। वह लोग स्वयं अपने आप को स्वच्छ करेंगे किन्तु दुष्ट लोग, दुष्ट ही बने रहेंगे और वे दुष्ट लोग इन बातों को नहीं समझेंगे किन्तु बुद्धिमान इन बातों को समझ जायेंगे।
आओ, यहोवा के विषय में जानकारी करें। आओ, यहोवा को जानने का कठिन जतन करें। हमको इसका पता है कि वह आ रहा है वैसे ही जैसे हम को ज्ञान है कि प्रभात आ रहा है। यहोवा हमारे पास वैसे ही आयेगा जैसे कि बसंत कि वह वर्षा आती है जो धरती को सींचती है।
अनेक जातियाँ यहाँ आ कर कहेंगी, “आओ! चलो, यहोवा के पहाड़ के ऊपर चलें। याकूब के परमेश्वर के मन्दिर चलें। फिर परमेश्वर हमको अपनी राह सिखायेगा और फिर हम उसके पथ में बढ़ते चले जायेंगे।” क्यों क्योंकि परमेश्वर की शिक्षाएँ सिय्योन से आयेंगी और यहोवा का वचन यरूशलेम से आयेगा।
“किन्तु, मेरे भक्तों, तुम पर अच्छाई उगते सूरज के समान चमकेगी और यह सूरज की किरणों की तरह स्वास्थ्यवर्धक शक्ति देगी। तुम ऐसे ही स्वतन्त्र और प्रसन्न होओगे जैसे अपने बाड़े से स्वतन्त्र हुए बछड़े।
और अच्छी धरती पर गिरे बीज से अर्थ है वे व्यक्ति जो अच्छे और सच्चे मन से जब वचन को सुनते हैं तो उसे धारण भी करते हैं। फिर अपने धैर्य के साथ वह उत्तम फल देते हैं।
तुम अपने पिता शैतान की संतान हो। और तुम अपने पिता की इच्छा पर चलना चाहते हो। वह प्रारम्भ से ही एक हत्यारा था। और उसने सत्य का पक्ष कभी नहीं लिया। क्योंकि उसमें सत्य का कोई अंश तक नहीं है। जब वह झूठ बोलता है तो सहज भाव से बोलता है क्योंकि वह झूठा है और सभी झूठों को जन्म देता है।
ये लोग थिस्सुलुनिके के लोगों से अधिक अच्छे थे। इन लोगों ने पूरा मन लगाकर वचन को सुना और हर दिन शास्त्रों को उलटते पलटते यह जाँचते रहे कि पौलुस ने जो बातें बतायी हैं, क्या वे सत्य हैं।