जब उसके भाई पर्व में चले गये तो वह भी गया। पर वह खुले तौर पर नही; छिप कर गया था।
हे यहोवा, मुझको तेरा मन्दिर प्रिय है। मैं तेरे पवित्र तम्बू से प्रेम करता हूँ।
हे मेरे परमेश्वर, मैं वही करना चाहता हूँ जो तू चाहता है। मैंने मन में तेरी शिक्षओं को बसा लिया।
उस समय बुद्धिमान चुप रहेंगे। क्यों क्योंकि यह बुरा समय है।
“सावधान! मैं तुम्हें ऐसे ही बाहर भेज रहा हूँ जैसे भेड़ों को भेड़ियों के बीच में भेजा जाये। सो साँपों की तरह चतुर और कबूतरों के समान भोले बनो।
वह अभी भीड़ के लोगों से बातें कर ही रहा था कि उसकी माता और भाई-बन्धु वहाँ आकर बाहर खड़े हो गये। वे उससे बातें करने को बाट जोह रहे थे।
उत्तर में यीशु ने उससे कहा, “अभी तो इसे इसी प्रकार होने दो। हमें, जो परमेश्वर चाहता है उसे पूरा करने के लिए यही करना उचित है।” फिर उसने वैसा ही होने दिया।
जब उसके परिवार के लोगों ने यह सुना तो वे उसे लेने चल दिये क्योंकि लोग कह रहे थे कि उसका चित्त ठिकाने नहीं है।
यीशु यहूदियों के बीच फिर कभी प्रकट होकर नहीं गया और यरूशलेम छोड़कर वह निर्जन रेगिस्तान के पास इफ्राईम नगर जा कर अपने शिष्यों के साथ रहने लगा।
इसलिये यीशु के बंधुओं ने उससे कहा, “तुम्हें यह स्थान छोड़कर यहूदिया चले जाना चाहिये। ताकि तुम्हारे अनुयायी तुम्हारे कामों को देख सकें।
यीशु के भाई तक उसमें विश्वास नहीं करते थे।
ऐसा कहने के बाद यीशु गलील मे रुक गया।
किन्तु जब उचित अवसर आया तो परमेश्वर ने अपने पुत्र को भेजा जो एक स्त्री से जन्मा था। और व्यवस्था के अधीन जीता था।