फिलिप्पुस ने उत्तर दिया, “दो सौ चाँदी के सिक्कों से भी इतनी रोटियाँ नहीं ख़रीदी जा सकती हैं जिनमें से हर आदमी को एक निवाले से थोड़ा भी ज़्यादा मिल सके।”
एलीशा के सेवक ने कहा, “आपने क्या कहा यहाँ तो सौ व्यक्ति हैं। उन सभी व्यक्तियों को यह भोजन मैं कैसे दे सकता हूँ” किन्तु एलीशा ने कहा, “लोगों को खाने के लिए भोजन दो। यहोवा कहता है, ‘वे भोजन कर लेंगे और भोजन बच भी जायेगा।’”
“फिर जब वह दास वहाँ से जा रहा था, तो उसे उसका एक साथी दास मिला जिसे उसे कुछ रूपये देने थे। उसने उसका गिरहबान पकड़ लिया और उसका गला घोटते हुए बोला, ‘जो तुझे मेरा देना है, लौटा दे!’
फिलिप्पुस को नतनएल मिला और उसने उससे कहा, “हमें वह मिल गया है जिसके बारे में मूसा ने व्यवस्था के विधान में और भविष्यवक्ताओं ने लिखा है। वह है यूसुफ का बेटा, नासरत का यीशु।”
नतनएल ने पूछा, “तू मुझे कैसे जानता है?” जवाब में यीशु ने कहा, “उससे पहले कि फिलिप्पुस ने तुझे बुलाया था, मैनें देखा था कि तू अंजीर के पेड़ के नीचे था।”