स्त्री ने उससे कहा, “हे महाशय, तेरे पास तो कोई बर्तन तक नहीं है और कुआँ बहुत गहरा है फिर तेरे पास जीवन-जल कैसे हो सकता है? निश्चय तू हमारे पूर्वज याकूब से बड़ा है!
“मेरे लोगों ने दो पाप किये हैं। उन्होंने मुझे छोड़ दिया (मैं ताजे पानी का सोता हूँ।) और उन्होंने अपने पानी के निजी हौज खोदे हैं। (वे अन्य देवताओं के भक्त बने हैं।) किन्तु उनके हौज टूटे हैं। उन हौजों में पानी नहीं रुकेगा।
नीकुदेमुस ने उससे कहा, “कोई आदमी बूढ़ा हो जाने के बाद फिर जन्म कैसे ले सकता है? निश्चय ही वह अपनी माँ की कोख में प्रवेश करके दुबारा तो जन्म ले नहीं सकता!”
किन्तु वह जो उस जल को पियेगा, जिसे मैं दूँगा, फिर कभी प्यासा नहीं रहेगा। बल्कि मेरा दिया हुआ जल उसके अन्तर में एक पानी के झरने का रूप ले लेगा जो उमड़-घुमड़ कर उसे अनन्त जीवन प्रदान करेगा।”
एक प्राकृतिक व्यक्ति परमेश्वर की आत्मा द्वारा प्रकाशित सत्य को ग्रहण नहीं करता क्योंकि उसके लिए वे बातें निरी मूर्खता होती हैं, वह उन्हें समझ नहीं पाता क्योंकि वे आत्मा के आधार पर ही परखी जा सकती हैं।
वह मुझसे फिर बोला, “सब कुछ पूरा हो चुका है। मैं ही अल्फा हूँ और मैं ही ओमेगा हूँ। मैं ही आदि हूँ और मैं ही अन्त हूँ। जो भी प्यासा है मैं उसे जीवन-जल के स्रोत से सेंत-मेंत में मुक्त भाव से जल पिलाऊँगा।
आत्मा और दुल्हिन कहती है, “आ!” और जो इसे सुनता है, वह भी कहे, “आ!” और जो प्यासा हो वह भी आये और जो चाहे वह भी इस जीवन दायी जल के उपहार को मुक्त भाव से ग्रहण करें।
क्योंकि वह मेमना जो सिंहासन के बीच में है उनकी देखभाल करेगा। वह उन्हें जीवन देने वाले जल स्रोतों के पास ले जाएगा और परमेश्वर उनकी आँखों के हर आँसू को पोंछ देगा।”