परमेश्वर को जगत से इतना प्रेम था कि उसने अपने एकमात्र पुत्र को दे दिया, ताकि हर वह आदमी जो उसमें विश्वास रखता है, नष्ट न हो जाये बल्कि उसे अनन्त जीवन मिल जाये।
दूत ने कहा, “तुम अपने पुत्र को मत मारो अथवा उसे किसी प्रकार की चोट न पहुँचाओ। मैंने अब देख लिया कि तुम परमेश्वर का आदर करते हो और उसकी आज्ञा मानते हो। मैं देखता हूँ कि तुम अपने एक लौते पुत्र को मेरे लिए मारने के लिए तैयार हो।”
परमेश्वर ने कहा, “अपना पुत्र लो, अपना एकलौता पुत्र, इसहाक जिससे तुम प्रेम करते हो मोरिय्याह पर जाओ, तुम उस पहाड़ पर जाना जिसे मैं तुम्हें दिखाऊँगा। वहाँ तुम अपने पुत्र को मारोगे और उसको होमबलि स्वरूप मुझे अर्पण करोगे।”
यह सब कुछ तब घटेगा जब उस विशेष बच्चे का जन्म होगा। परमेश्वर हमें एक पुत्र प्रदान करेगा। यह पुत्र लोगों की अगुवाई के लिये उत्तरदायी होगा। उसका नाम होगा: “अद्भुत, उपदेशक, सामर्थी परमेश्वर, पिता—चिर अमर और शांति का राजकुमार।”
इसलिये तुम लोग जाओ और समझो कि शास्त्र के इस वचन का अर्थ क्या है, ‘मैं बलिदान नहीं चाहता बल्कि दया चाहता हूँ।’ मैं धर्मियों को नहीं, बल्कि पापियों को बुलाने आया हूँ।”
जो उसमें विश्वास रखता है उसे दोषी न ठहराया जाय पर जो उसमें विश्वास नहीं रखता, उसे दोषी ठहराया जा चुका है क्योंकि उसने परमेश्वर के एकमात्र पुत्र के नाम में विश्वास नहीं रखा है।
इसलिए वह जो उसके पुत्र में विश्वास करता है अनन्त जीवन पाता है पर वह जो परमेश्वर के पुत्र की बात नहीं मानता उसे वह जीवन नहीं मिलेगा। इसके बजाय उस पर परम पिता परमेश्वर का क्रोध बना रहेगा।”
क्योंकि जब हम उसके बैरी थे उसने अपनी मृत्यु के द्वारा परमेश्वर से हमारा मेलमिलाप कराया तो अब तो जब हमारा मेलमिलाप हो चुका है उसके जीवन से हमारी और कितनी अधिक रक्षा होगी।
अब हमारा प्रभु स्वयं यीशु मसीह और हमारा परम पिता परमेश्वर जिसने हम पर अपना प्रेम दर्शाया है और हमें परम आनन्द प्रदान किया है तथा जिसने हमें अपने अनुग्रह में सुदृढ़ आशा प्रदान की है।
किन्तु हम यह देखते हैं कि वह यीशु जिसको थोड़े समय के लिए स्वर्गदूतों से नीचे कर दिया गया था, अब उसे महिमा और आदर का मुकुट पहनाया गया है क्योंकि उसने मृत्यु की यातना झेली थी। जिससे परमेश्वर के अनुग्रह के कारण वह प्रत्येक के लिए मृत्यु का अनुभव करे।
विचार कर देखो कि परम पिता ने हम पर कितना महान प्रेम दर्शाया है! ताकि हम उसके पुत्र-पुत्री कहला सकें और वास्तव में वे हम हैं ही। इसलिए संसार हमें नहीं पहचानता क्योंकि वह मसीह को नहीं पहचानता।
एवं उस यीशु मसीह की ओर से जो विश्वासपूर्ण साक्षी, मरे हुओं में से पहला जी उठने वाला तथा धरती के राजाओं का भी राजा है, तुम्हें अनुग्रह और शांति प्राप्त हो। वह जो हमसे प्रेम करता है तथा जिसने अपने लहू से हमारे पापों से हमें छुटकारा दिलाया है।