किन्तु परमेश्वर करूणापूर्ण था। उसने उन्हें उनके पापों के लिये क्षमा किया, और उसने उनका विनाश नहीं किया। परमेश्वर ने अनेकों अवसर पर अपना क्रोध रोका। परमेश्वर ने अपने को अति कुपित होने नहीं दिया।
उत्तर में यीशु ने कहा, “अरे भटके हुए अविश्वासी लोगों, मैं कितने समय तुम्हारे साथ और रहूँगा? कितने समय मैं यूँ ही तुम्हारे साथ रहूँगा? उसे यहाँ मेरे पास लाओ।”
तब यीशु ने उत्तर दिया, “अरे अविश्वासियों और भटकाये गये लोगों, मैं और कितने दिन तुम्हारे साथ रहूँगा और कब तक तुम्हारे साथ रहूँगा? अपने बेटे को यहाँ ले आ।”
दूसरे शिष्य उससे कह रहे थे, “हमने प्रभु को देखा है।” किन्तु उसने उनसे कहा, “जब तक मैं उसके हाथों में कीलों के निशान न देख लूँ और उनमें अपनी उँगली न डाल लूँ तथा उसके पंजर में अपना हाथ न डाल लूँ, तब तक मुझे विश्वास नहीं होगा।”