अब से मैं तुम्हें दास नहीं कहूँगा क्योंकि कोई दास नहीं जानता कि उसका स्वामी क्या कर रहा है बल्कि मैं तुम्हें मित्र कहता हूँ। क्योंकि मैंने तुम्हें वह हर बात बता दी है, जो मैंने अपने परम पिता से सुनी है।
यदि कोई मेरी सेवा करता है तो वह निश्चय ही मेरा अनुसरण करे और जहाँ मैं हूँ, वहीं मेरा सेवक भी रहेगा। यदि कोई मेरी सेवा करता है तो परम पिता उसका आदर करेगा।
“मेरा वचन याद रखो एक दास अपने स्वामी से बड़ा नहीं है। इसीलिये यदि उन्होंने मुझे यातनाएँ दी हैं तो वे तुम्हें भी यातनाएँ देंगे। और यदि उन्होंने मेरा वचन माना तो वे तुम्हारा वचन भी मानेंगे।
न केवल मैंने तेरे नाम का उन्हें बोध कराया है बल्कि मैं इसका बोध कराता भी रहूँगा ताकि वह प्रेम जो तूने मुझ पर दर्शाया है उनमें भी हो। और मैं भी उनमें रहूँ।”
यीशु ने उससे कहा, “मुझे मत छू क्योंकि मैं अभी तक परम पिता के पास ऊपर नहीं गया हूँ। बल्कि मेरे भाईयों के पास जा और उन्हें बता, ‘मैं अपने परम पिता और तुम्हारे परम पिता तथा अपने परमेश्वर और तुम्हारे परमेश्वर के पास ऊपर जा रहा हूँ।’”
दास के रूप में नहीं, बल्कि दास से अधिक एक प्रिय बन्धु के रूप में। मैं उससे बहुत प्रेम करता हूँ किन्तु तू उसे और अधिक प्रेम करेगा। केवल एक मनुष्य के रूप में ही नहीं बल्कि प्रभु में स्थित एक बन्धु के रूप में भी।
इस प्रकार शास्त्र का यह कहा पूरा हुआ था, “इब्राहीम ने परमेश्वर पर विश्वास किया और विश्वास के आधार पर ही वह धर्मी ठहरा” और इसी से वह “परमेश्वर का मित्र” कहलाया।
उन नबियों ने मसीह की आत्मा से यह जाना जो मसीह पर होने वाले दुःखों को बता रही थी और वह महिमा जो इन दुःखों के बाद प्रकट होगी। यह आत्मा उन्हें बता रही थी। यह बातें इस दुनिया पर कब होंगी और तब इस दुनिया का क्या होगा।
यीशु मसीह के सेवक तथा प्रेरित शमौन पतरस की ओर से उन लोगों के नाम जिन्हें परमेश्वर से हमारे जैसा ही विश्वास प्राप्त है। क्योंकि हमारा परमेश्वर और उद्धारकर्ता यीशु मसीह न्यायपूर्ण है।
यह यीशु मसीह का दैवी-सन्देश है जो उसे परमेश्वर द्वारा इसलिए दिया गया था कि जो बातें शीघ्र ही घटने वाली हैं, उन्हें अपने दासों को दर्शा दिया जाए। अपना स्वर्गदूत भेजकर यीशु मसीह ने इसे अपने सेवक यूहन्ना को संकेत द्धारा बताया।