“मेरे परम पिता ने सब कुछ मुझे सौंप दिया और वास्तव में परम पिता के अलावा कोई भी पुत्र को नहीं जानता। और कोई भी पुत्र के अलावा परम पिता को नहीं जानता। और हर वह व्यक्ति परम पिता को जानता है, जिसके लिये पुत्र ने उसे प्रकट करना चाहा है।
“मुझे मेरे पिता द्वारा सब कुछ दिया गया है और पिता के सिवाय कोई नहीं जानता कि पुत्र कौन है और पुत्र के अतिरिक्त कोई नहीं जानता कि पिता कौन है, या उसके सिवा जिसे पुत्र इसे प्रकट करना चाहता है।”
यदि मैं उनके बीच वे कार्य नहीं करता जो कभी किसी ने नहीं किये तो वे पाप के दोषी न होते पर अब जब वे देख चुके हैं तब भी मुझसे और मेरे परम पिता दोनों से बैर रखते हैं।
मैं उनमें होऊँगा और तू मुझमें होगा, जिससे वे पूर्ण एकता को प्राप्त हों और जगत जान जाये कि मुझे तूने भेजा है और तूने उन्हें भी वैसे ही प्रेम किया है जैसे तू मुझे प्रेम करता है।
न केवल मैंने तेरे नाम का उन्हें बोध कराया है बल्कि मैं इसका बोध कराता भी रहूँगा ताकि वह प्रेम जो तूने मुझ पर दर्शाया है उनमें भी हो। और मैं भी उनमें रहूँ।”
“जगत से जिन मनुष्यों को तूने मुझे दिया, मैंने उन्हें तेरे नाम का बोध कराया है। वे लोग तेरे थे किन्तु तूने उन्हें मुझे दिया और उन्होंने तेरे वचन का पालन किया।
मैंने उन्हें वे ही उपदेश दिये हैं जो तूने मुझे दिये थे और उन्होंने उनको ग्रहण किया। वे निश्चयपूर्वक जानते हैं कि मैं तुझसे ही आया हूँ। और उन्हें विश्वास हो गया है कि तूने मुझे भेजा है।
इस पर लोगों ने उससे कहा, “तेरा पिता कहाँ है?” यीशु ने उत्तर दिया, “न तो तुम मुझे जानते हो, और न मेरे पिता को। यदि तुम मुझे जानते, तो मेरे पिता को भी जान लेते।”
क्योंकि उसी परमेश्वर ने, जिसने कहा था, “अंधकार से ही प्रकाश चमकेगा” वही हमारे हृदयों में प्रकाशित हुआ है, ताकि हमें यीशु मसीह के व्यक्तित्व में परमेश्वर की महिमा के ज्ञान की ज्योति मिल सके।
वह पुत्र परमेश्वर की महिमा का तेज-मंडल है तथा उसके स्वरूप का यथावत प्रतिनिधि। वह अपने समर्थ वचन के द्वारा सब वस्तुओं की स्थिति बनाये रखता है। सबको पापों से मुक्त करने का विधान करके वह स्वर्ग में उस महामहिम के दाहिने हाथ बैठ गया।
हे पिताओं, मैं तुम्हें इसलिए लिख रहा हूँ, क्योंकि तुम, जो अनादि काल से स्थित है उसे जानते हो। हे युवको, मैं तुम्हें इसलिए लिख रहा हूँ, क्योंकि तुमने उस दुष्ट पर विजय पा ली है।