“हे मेरे प्यारे बच्चों, मैं अब थोड़ी ही देर और तुम्हारे साथ हूँ। तुम मुझे ढूँढोगे और जैसा कि मैंने यहूदी नेताओं से कहा था, तुम वहाँ नहीं आ सकते, जहाँ मैं जा रहा हूँ, वैसा ही अब मैं तुमसे कहता हूँ।
तुमने मुझे कहते सुना है कि मैं जा रहा हूँ और तुम्हारे पास फिर आऊँगा। यदि तुमने मुझसे प्रेम किया होता तो तुम प्रसन्न होते क्योंकि मैं परम पिता के पास जा रहा हूँ। क्योंकि परम पिता मुझ से महान है।
किन्तु मैंने तुमसे यह इसलिये कहा है ताकि जब उनका समय आये तो तुम्हें याद रहे कि मैंने उनके विषय में तुमको बता दिया था। “आरम्भ में ये बातें मैंने तुम्हें नहीं बतायी थीं क्योंकि मैं तुम्हारे साथ था।
“हे परम पिता। जो लोग तूने मुझे सौंपे हैं, मैं चाहता हूँ कि जहाँ मैं हूँ, वे भी मेरे साथ हों ताकि वे मेरी उस महिमा को देख सकें जो तूने मुझे दी है। क्योंकि सृष्टि की रचना से भी पहले तूने मुझसे प्रेम किया है।
क्योंकि हम जानते हैं कि हमारी यह काया अर्थात् यह तम्बू जिसमें हम इस धरती पर रहते हैं गिरा दिया जाये तो हमें परमेश्वर की ओर से स्वर्ग में एक चिरस्थायी भवन मिल जाता है जो मनुष्य के हाथों बना नहीं होता।
वह मैं ऐसा इसलिए कर रहा हूँ कि परमेश्वर के चुने हुओं को अनन्त जीवन की आस बँधे। परमेश्वर ने, जो कभी झूठ नहीं बोलता, अनादि काल से अनन्त जीवन का वचन दिया है।
एवं उस यीशु मसीह की ओर से जो विश्वासपूर्ण साक्षी, मरे हुओं में से पहला जी उठने वाला तथा धरती के राजाओं का भी राजा है, तुम्हें अनुग्रह और शांति प्राप्त हो। वह जो हमसे प्रेम करता है तथा जिसने अपने लहू से हमारे पापों से हमें छुटकारा दिलाया है।
मैंने यरूशलेम की वह पवित्र नगरी भी आकाश से बाहर निकल कर परमेश्वर की ओर से नीचे उतरते देखी। उस नगरी को ऐसे सजाया गया था जैसे मानों किसी दुल्हन को उसके पति के लिए सजाया गया हो।
जो विजयी होगा उसे मैं अपने परमेश्वर के मन्दिर का स्तम्भ बनाऊँगा। फिर कभी वह इस मन्दिर से बाहर नहीं जाएगा। तथा मैं अपने परमेश्वर का और अपने परमेश्वर की नगरी नए यरूशलेम का नाम उस पर लिखूँगा, जो मेरे परमेश्वर की ओर से स्वर्ग से नीचे उतरने वाली है। उस पर मैं अपना नया नाम भी लिखूँगा।
“जो विजयी होगा मैं उसे अपने साथ अपने सिंहासन पर बैठने का गौरव प्रदान करूँगा। ठीक वैसे ही जैसे मैं विजयी बनकर अपने पिता के साथ उसके सिंहासन पर बैठा हूँ।