इन बातों के हो जाने के बाद यहोवा का आदेश अब्राम को एक दर्शन में आया। परमेश्वर ने कहा, “अब्राम, डरो नहीं। मैं तुम्हारी रक्षा करूँगा और मैं तुम्हें एक बड़ा पुरस्कार दूँगा।”
दृष्टा येहू यहोशापात से मिलने गया। येहू के पिता का नाम हनानी था। येहू ने राजा यहोशापात से कहा, “तुम बुरे आदमियों की सहायता क्यों करते हो तुम उन लोगों से क्यों प्रेम करते हो जो यहोवा से घृणा करते हैं। यही कारण है कि यहोवा तुम पर क्रोधित है।
मैं तुम से सत्य कहता हूँ कि जब तक धरती और आकाश समाप्त नहीं हो जाते, मूसा की व्यवस्था का एक एक शब्द और एक एक अक्षर बना रहेगा, वह तब तक बना रहेगा जब तक वह पूरा नहीं हो लेता।
क्या तुम ‘तू परमेश्वर का अपमान कर रहा है’ यह उसके लिये कह रहे हो, जिसे परम पिता ने समर्पित कर इस जगत को भेजा है, केवल इसलिये कि मैंने कहा, ‘मैं परमेश्वर का पुत्र हूँ’?
“हे मेरे भाईयों, यीशु को बंदी बनाने वालों के अगुआ यहूदा के विषय में, पवित्र शास्त्र का वह लेख जिसे दाऊद के मुख से पवित्र आत्मा ने बहुत पहले ही कह दिया था, उसका पूरा होना आवश्यक था। वह हम में ही गिना गया था और इस सेवा में उसका भी भाग था।”
हर व्यक्ति को प्रधान सत्ता की अधीनता स्वीकार करना चाहिए। क्योंकि शासन का अधिकार परमेश्वर की ओर से है। और जो अधिकार मौजूद है उन्हें परमेश्वर ने नियुक्त किया है।
यहोवा तुम्हारा परमेश्वर तुम्हारे पास अपना नबी भेजेगा। यह नबी तुम्हारे अपने ही लोगों में से आएगा। वह मेरी तरह ही होगा। तुम्हें इस नबी की बात माननी चाहिए।
शाऊल ने यहोवा से प्रार्थना की, किन्तु यहोवा ने उसे उत्तर नहीं दिया। परमेश्वर ने शाऊल से स्वप्न में बातें नहीं की। परमेश्वर ने उसे उत्तर देने के लिये ऊरीम का उपयोग भी नहीं किया और परमेश्वर ने शाऊल से बात करने के लिये भविष्यवक्ताओं का उपयोग नहीं किया।
तब दाऊद ने यहोवा से प्रार्थना की, “क्या मुझे उन लोगों का पीछा करना चाहिए जो हमारे परिवारों को ले गये हैं? क्या मैं उन्हें पकड़ लूँगा।” यहोवा ने अत्तर दिया, “उनका पीछा करो। तुम उन्हें पकड़ लोगे। तुम अपने परिवारों को बचा लोगे।”