“मेरे दास को देखो! मैं ही उसे सभ्भाला हूँ। मैंने उसको चुना है, मैं उससे अति प्रसन्न हूँ। मैं अपनी आत्मा उस पर रखता हूँ। वह ही सब देशों में न्याय खरेपन से लायेगा।
तुझको धार्मिकता ही प्रिय है, तुझको घृणा पापों से रही, सो परमेश्वर, तेरे परमेश्वर ने तुझको चुना है, और उस आदर का आनन्द दिया। तुझको तेरे साथियों से कहीं अधिक दिया।”
किन्तु हम यह देखते हैं कि वह यीशु जिसको थोड़े समय के लिए स्वर्गदूतों से नीचे कर दिया गया था, अब उसे महिमा और आदर का मुकुट पहनाया गया है क्योंकि उसने मृत्यु की यातना झेली थी। जिससे परमेश्वर के अनुग्रह के कारण वह प्रत्येक के लिए मृत्यु का अनुभव करे।