किन्तु अब मेरे यहोवा, यहूदा के राजा, कृपया मेरी सुन। कृपया मेरा निवेदन अपने तक पहुँचने दे। मैं आपसे इतना माँगता हूँ। शास्त्री योनातान के घर मुझे वापस न भेजें। यदि आप मुझे वहाँ भेजेंगे मैं वहीं मर जाऊँगा।”
किन्तु यदि तुम मुझे मार डालोगे तो एक बात निश्चित समझो। तुम एक निरपराध व्यक्ति को मारने के अपराधी होगे। तुम इस नगर और इसमें जो भी रहते हैं उन्हें भी अपराधी बनाओगे। सच में, यहोवा ने मुझे तुम्हारे पास भेजा है। जो सन्देश तुमने सुना है वह, सच में, यहोवा का है।”
शायद वे लोग यहोवा से सहायता की याचना करें। कदाचित् हर एक व्यक्ति बुरा काम करना छोड़ दे। यहोवा ने यह घोषित कर दिया है कि वह उन लोगों पर बहुत क्रोधित है।”
यदि वे तुमसे ऐसा कहें तो उनसे कहना, ‘मैं राजा से प्रार्थना कर रहा था कि वे मुझे योनातान के घर के नीचे कूप—गृह में वापस न भेजें। यदि मुझे वहाँ वापस जाना पड़ा तो मैं मर जाऊँगा।’”
उन सभी लोगों ने उससे कहा, “यिर्मयाह, कृपया सुन जो हम कहते हैं। अपने परमेश्वर यहोवा से, यहूदा के परिवार के इन सभी बचे व्यक्तियों के लिये प्रार्थना करो। यिर्मयाह, तुम देख सकते हो कि हम लोगों में बहुत अधिक नहीं बचे हैं। किसी समय हम बहुत अधिक थे।