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क्रॉस रेफरेंस
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यिर्मयाह 29:7

पवित्र बाइबल

मैं जिस नगर में तुम्हें भेजूँ उसके लिये अच्छा काम करो। जिस नगर में तुम रहो उसके लिये यहोवा से प्रार्थना करो। क्यों क्योंकि यदि उस नगर में शान्ति रहेगी तो तुम्हें भी शान्ति मिलेगी।”

अध्याय देखें प्रतिलिपि

12 क्रॉस रेफरेंस  

उन चीज़ों को यहूदी याजकों को दो जिससे वे ऐसी बलि भेंट करें कि जिससे स्वर्ग का परमेश्वर प्रसन्न हो। उन चीज़ों को दो जिससे याजक मेरे और मेरे पुत्रों के लिये प्रार्थना करें।

स्वर्ग का परमेश्वर, एज्रा को जिस चीज़ को पाने के लिये आदेश दे उसे तुम्हें शीघ्र और पूर्ण रूप से एज्रा को देना चाहिये। स्वर्ग के परमेश्वर के मन्दिर के लिये ये सब चीज़ें करो। हम नहीं चाहते कि परमेश्वर मेरे राज्य या मेरे पुत्रों पर क्रोधित हो।

तुम यरूशलेम में शांति हेतू विनती करो। “ऐसे लोग जो तुझसे प्रेम रखते हैं, वहाँ शांति पावें यह मेरी कामना है।

तब जिन राजकीय अधिकारियों ने यिर्मयाह के उस कथन को सुना जिसे वह लोगों से कह रहा था, वे राजा सिदकिय्याह के पास गए। उन्होंने राजा से कहा, “यिर्मयाह को अवश्य मार डालना चाहिये। वह उन सैनिकों को भी हतोत्साहित कर रहा है जो अब तक नगर में हैं। यिर्मयाह जो कुछ कह रहा है उससे वह हर एक का साहस तोड़ रहा है। यिर्मयाह हम लोगों का भला होता नहीं देखना चाहता। वह यरूशलेम के लोगों को बरबाद करना चाहता है।”

इसलिये उन लोगों से यह सब कहो: हमारा स्वामी यहोवा, कहता है, “यह सत्य है कि मैंने अपने लोगों को बहुत दूर के देशों में जाने को विवश किया। मैंने ही उनको बहुत से देशों में बिखेरा और मैं अन्य देशों में उन के लिये थोड़े समय का पवित्र स्थान ठहरुँगा।

तब दानिय्येल (जिसका नाम बेलतशस्सर भी था) थोड़ी देर के लिये एकदम चुप हो गया। जिन बातों को वह सोच रहा था, वे उसे व्याकुल किये जा रही थी। सो राजा ने उससे कहा, “हे बेलतशस्सर (दानिय्येल), तू उस सपने या उस सपने के फल से भयभीत मत हो।” इस पर बेलतशस्सर (दानिय्येल) ने राजा को उत्तर दिया, “हे मेरे स्वामी, काश यह सपना तेरे शत्रुओं पर पड़े और इसका फल, जो तेरे विरोधी हैं, उनको मिले!”

इसलिये हे राजन, आप कृपा करके मेरी सलाह मानें। मैं आपको यह सलाह देता हूँ कि आप पाप करना छोड़ दें और जो उचित है, वही करें। कुकर्मो का त्याग कर दें। गरीबों पर दयालु हों। तभी आप सफल बने रह सकेंगे।”

हर व्यक्ति को प्रधान सत्ता की अधीनता स्वीकार करना चाहिए। क्योंकि शासन का अधिकार परमेश्वर की ओर से है। और जो अधिकार मौजूद है उन्हें परमेश्वर ने नियुक्त किया है।

इसलिए समर्पण आवश्यक है। न केवल डर के कारण बल्कि तुम्हारी अपनी चेतना के कारण।




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