लोगों से बात करने के बाद मूसा और हारून फ़िरौन के पास गए। उन्होंने कहा, “इस्राएल का परमेश्वर यहोवा कहता है, ‘मेरे लोगों को मरुभूमि में जाने दें जिससे वे मेरे लिए उत्सव कर सके।’”
किन्तु केवल यहोवा ही सच्चा परमेश्वर है। वह एकमात्र परमेश्वर है जो चेतन है। वह शाश्वत शासक है। जब परमेश्वर क्रोध करता है तो धरती काँप जाती है। राष्ट्रों के लोग उसके क्रोध को रोक नहीं सकते।
किन्तु याकूब का परमेश्वर उन देवमूर्तियों के समान नहीं है। परमेश्वर ने सभी वस्तुओं की सृष्टि की, और इस्राएल वह परिवार है जिसे परमेश्वर ने अपने लोग के रूप में चुना। परमेश्वर का नाम “सर्वशक्तिमान यहोवा” है।
“यिर्मयाह, उन राष्ट्रों से कहो कि इस्राएल के लोगों का परमेश्वर सर्वशक्तिमान यहोवा जो कहता है, वह यह है: ‘मेरे क्रोध के इस प्याले को पीओ। उसे पीकर मत्त हो जाओ और उलटियाँ करो। गिर पड़ो और उठो नहीं, क्योंकि तुम्हें मार डालने के लिये मैं तलवार भेज रहा हूँ।’
तब एदोम, मोआब, अम्मोन, सोर और सीदोन के राजाओं को सन्देश भेजो। ये सन्देश इन राजाओं के राजदूतों द्वारा भेजो जो यहूदा के राजा सिदकिय्याह से मिलने यरूशलेम आए हैं।
मैंने पृथ्वी और इस पर रहने वाले सभी लोगों को बनाया। मैंने पृथ्वी के सभी जानवरों को बनाया। मैंने यह अपनी बड़ी शक्ति और शक्तिशाली भुजा से किया। मैं यह पृथ्वी किसी को भी जिसे चाहूँ दे सकता हूँ।
इस्राएल का परमेश्वर सर्वशक्तिमान यहोवा कहता है, ‘मैं इन सभी राष्ट्रों की गर्दन पर लोहे का जुवा रखूँगा। मैं यह बाबुल के राजा नबूकदनेस्सर की उनसे सेवा कराने के लिये करूँगा और वे उसके दास होंगे। मैं नबूकदनेस्सर को जंगली जानवरों पर भी शासन का अधिकार दूँगा।’”
किन्तु याकूब का अँश (परमेश्वर) उन व्यर्थ देवमूर्तियों सा नहीं है। लोगों ने परमेश्वर को नहीं बनाया, परमेश्वर ने लोगों को बनाया। परमेश्वर ने ही सब कुछ बनाया। उसका नाम सर्वशक्तिमान यहोवा है।