मैं कभी भीड़ में नहीं बैठा क्योंकि उन्होंने हँसी उड़ाई और मजा लिया। अपने ऊपर तेरे प्रभाव के कारण मैं अकेला बैठा। तूने मेरे चारों ओर की बुराइयों पर मुझे क्रोध से भर दिया।
किन्तु मैंने तुम्हें जो लिखा है, वह यह है कि किसी ऐसे व्यक्ति से नाता मत रखो जो अपने आपको मसीही बन्धु कहला कर भी व्यभिचारी, लोभी, मूर्तिपूजक चुगलखोर, पियक्कड़ या एक ठग है। ऐसे व्यक्ति के साथ तो भोजन भी ग्रहण मत करो।