तेरा सन्देश मुझे मिला और मैं उसे निगल गया। तेरे सन्देश ने मुझे बहुत प्रसन्न कर दिया। मैं प्रसन्न था कि मुझे तेरे नाम से पुकारा जाता है। तेरा नाम यहोवा सर्वशक्तिमान है।
इसके बाद सभी लोग उस विशेष भोजन को खाने के लिये चले गये। अपने खाने पीने की वस्तुओं, को उन्होंने आपस में बाँटा। वे बहुत प्रसन्न थे और इस तरह उन्होंने उस विशेष दिन को मनाया और आखिरकार उन्होंने यहोवा की उन शिक्षाओं को समझ लिया जिन्हें उनको समझाने का शिक्षक जतन किया करते थे।
तू उस व्यक्ति के समान लगता है जिस पर अचानक हमला किया गया हो। तू उस सैनिक सा लगता है जिसके पास किसी को बचाने की शक्ति न हो। किन्तु हे यहोवा, तू हमारे साथ है। हम तेरे नाम से पुकारे जाते हैं, अत: हमें असहाय न छोड़।”
“मनुष्य के पुत्र, तुम्हें उन बातों को सुनना चाहिये जिन्हें मैं तुमसे कहता हूँ। उन विद्रोही लोगों की तरह मेरे विरुद्ध न जाओ। अपना मुँह खोलो जो बात मैं तुमसे कहता हूँ, स्वीकार करो और उन वचनों को लोगों से कहो। इन वचनों को खा लो।”
हे याकूब के लोगों, किन्तु मुझे यह बातें कहनी है, जो काम तूने किये हैं, यहोवा उनसे क्रोधित हो रहा है। यदि तुम लोग उचित रीति से जीवन जीते तो मैं तुम्हारे लिये अच्छे शब्द कहता।