यहोवा ने तुम्हें एक नाम दिया था। उन्होंने तुम्हें कहा, ‘हरा भरा जैतून वृक्ष कहा था जिसकी सुन्दरता देखने योग्य है।’ किन्तु एक प्रबल आँधी के गरज के साथ, यहोवा उस वृक्ष में आग लगा देगा और इसकी शाखायें जल जाएंगी।
अँगूर की बेलें सूख रहीं है। शाखाएँ कट कर गिर रही हैं और स्त्रियाँ उन शाखाओं से धन का काम ले रही हैं। लोग इसे समझ नहीं रहे हैं। इसीलिए उनका स्वामी परमेश्वर उन्हें चैन नहीं देगा। उनका रचयिता उनके प्रति दयालु नहीं होगा।
अत: यहोवा यह कहता है: “मैं अपना क्रोध इस स्थान के विरुद्ध प्रकट करुँगा। मैं लोगों तथा जानवरों को दण्ड दूँगा। मैं खेत में पेड़ों और उस भूमि में उगनेवाली फसलों को दण्ड दूँगा। मेरा क्रोध प्रचण्ड अग्नि सा होगा और कोई व्यक्ति उसे रोक नहीं सकेगा।”
यदि कोई मुझमें नहीं रहता तो वह टूटी शाखा की तरह फेंक दिया जाता है और सूख जाता है। फिर उन्हें बटोर कर आग में झोंक दिया जाता है और उन्हें जला दिया जाता है।
तुम्हारी सारी भूमि में जैतून के पेड़ होंगे। किन्तु तुम उसके कुछ भी तेल का उपयोग नहीं कर सकोगे। क्यों? क्योंकि तुम्हारे जैतून के पेड़ अपने फलों को नष्ट होने के लिये गिरा देंगे।