यिर्मयाह 11:11पवित्र बाइबलअत: यहोवा कहता है: “मैं यहूदा के लोगों पर शीघ्र ही भयंकर विपत्ति ढाऊँगा। वे बचकर भाग नहीं पाएंगे और वे सहायता के लिये मुझे पुकारेंगे। किन्तु मैं उनकी एक न सुनूँगा। अध्याय देखें |
यहूदा के लोग उपवास कर सकते हैं और मुझसे प्रार्थना कर सकते हैं। किन्तु मैं उनकी प्रार्थनायें नहीं सुनूँगा। यहाँ तक कि यदि ये लोग होमबलि और अन्न भेंट चढ़ायेंगे तो भी मैं उन लोगों को नहीं अपनाऊँगा। मैं यहूदा के लोगों को युद्ध में नष्ट करुँगा। मैं उनका भोजन छीन लूँगा और यहूदा के लोग भूखों मरेंगे और मैं उन्हें भयंकर बीमारियों से नष्ट करुँगा।
वे लोग तुमसे पूछ सकते हैं, ‘हम लोग कहाँ जाएंगे’ तुम उनसे यह कहो, यहोवा जो कहता है, वह यह है: “मैंने कुछ लोगों को मरने के लिये निश्चित किया है। वे लोग मरेंगे। मैंने कुछ लोगों को तलवार के घाट उतारना निश्चित किया है, वे लोग तलवार के घाट उतारे जाएंगे। मैंने कुछ को भूख से मरने के लिये निश्चित किया है। वे लोग भूख से मरेंगे। मैंने कुछ लोगों का बन्दी होना और विदेश ले जाया जाना निश्चित किया है। वे लोग उन विदेशों में बन्दी रहेंगे।
“अत: यिर्मयाह, यहूदा के लोगों और यरूशलेम में जो लोग रहते हैं उनसे कहो, ‘यहोवा जो कहता है वह यह है: अब मैं सीधे तुम लोगों के लिये विपत्ति का निर्माण कर रहा हूँ। मैं तुम लोगों के विरुद्ध योजना बना रहा हूँ। अत: उन बुरे कामों को करना बन्द करो जो तुम कर रहे हो। हर एक व्यक्ति को बदलना चाहिये और अच्छा काम करना आरम्भ करना चाहिये।’
अत: मैं उन्हें अपना सन्देश देना बन्द करुँगा। यह ऐसा होगा मानो वे अन्धकार में चलने को विवश किये गए हों। यह ऐसा होगा मानो नबियों और याजकों के लिये फिसलन वाली सड़क हो। उस अंधेरी जगह में वे नबी और याजक गिरेंगे। मैं उन पर आपत्तियाँ ढाऊँगा। उस समय मैं उन नबियों और याजकों को दण्ड दूँगा।” यह सन्देश यहोवा का है।
यहोवा अर्थात् मैं यहोयाकीम और उसकी सन्तान को दण्ड दूँगा और मैं उसके अधिकारियों को दण्ड दूँगा। मैं यह करुँगा क्योंकि वे दुष्ट हैं। मैंने उन पर तथा यरूशलेम के सभी निवासियों पर और यहूदा के लोगों पर भयंकर विपत्ति ढाने की प्रतिज्ञा की है। मैं अपनी प्रतिज्ञा के अनुसार उन पर सभी बुरी विपत्तियाँ ढाऊँगा क्योंकि उन्होंने मेरी अनसुनी की है।’”
“मनुष्य के पुत्र, ये व्यक्ति तुमसे बातें करने आए हैं। वे चाहते थे कि तुम मुझसे राय लो। किन्तु वे व्यक्ति अब तक अपनी गन्दी देवमूर्तियों को रखे हैं। वे उन चीजों को रखते हैं जो उनसे पाप कराती हैं। वे अब तक उन मूर्तियों की पूजा करते हैं। इसलिये वे मेरे पास राय लेने क्यों आते हैं क्या मुझे उनके प्रश्नों के उत्तर देने चाहिए नहीं!