लोग इतने बेवकूफ हैं! सुनार उन देवमूर्तियों से मूर्ख बनाए गये हैं जिन्हें उन्होंने स्वयं बनाया है। ये मूर्तियाँ झूठ के अतिरिक्त कुछ नहीं हैं, वे निष्क्रिय हैं।
लोग उनकी मूर्तियों की पूजा करते हैं। वे अपने “देवताओं” की डींग हाँकते हैं। लेकिन वे लोग लज्जित होंगे। उनके “देवता” यहोवा के सामने झुकेंगे और उपासना करेंगे।
किन्तु कुछ लोगों ने मेरा अनुसरण करना छोड़ दिया। उन लोगों के पास वे मूर्तियाँ हैं जो सोने से मढ़ी हैं। उन से वे कहा करते हैं कि ‘तुम हमारे देवता हो।’ वे लोग अपने झूठे देवताओं के विश्वासी हैं। किन्तु ऐसे लोग बस निराश ही होंगे!”
उन देवताओं को कारीगरों ने गढ़ा है और वे कारीगर तो मात्र मनुष्य हैं, न कि देवता। यदि वे सभी लोग एकजुट हो पंक्ति में आयें और इन बातों पर विचार विनिमय करें तो वे सभी लज्जित होंगे और डर जायेंगे।
अन्य देशों की देव मूर्तियों, ककड़ी के खेत में खड़े फूस के पुतले के समान हैं। वे न बोल सकती हैं, और न चल सकती हैं। उन्हें उठा कर ले जाना पड़ता है क्योंकि वे चल नहीं सकते। उनसे मत डरो। वे न तो तुमको चोट पहुँचा सकती हैं और न ही कोई लाभ!”
उन्होंने झूठ के साथ परमेश्वर के सत्य का सौदा किया और वे सृष्टि के बनाने वाले को छोड़ कर उसकी बनायी सृष्टि की उपासना सेवा करने लगे। परमेश्वर धन्य है। आमीन।
किन्तु अगली सुबह जब अशदोद के लोग उठे तो उन्होंने दागोन को फिर जमीन पर पाया। दागोन फिर यहोवा के पवित्र सन्दूक के सामने गिरा पड़ा था। दागोन के हाथ और पैर टूट गए थे और डेवढ़ी पर पड़े थे। केवल दागोन का शरीर एक खण्ड के रूप में था।