इसलिए हमारे अग्रज (नेताओं) और हमारे लोगों ने हमसे कहा, ‘अपनी यात्रा के लिये काफी भोजन ले लो। जाओ और इस्राएल के लोगों से बातें करो। उनसे कहो, हम आपके सेवक हैं। हम लोगों के साथ शान्ति की सन्धि करो।’”
हम लोगों के मशकों को देखो! जब हम लोगों ने घर छोड़ा तो ये नयी और दाखमधु से भरी थीं। आप देख सकते हैं कि ये फटी और पुरानी हैं। हमारे कपड़ों और चप्पलों को देखो! आप देख सकते है कि लम्बी यात्रा ने हमारी चीज़ों को खराब कर दिया है।”