तब सीमा पूर्व की ओर मुड़ी। यह सीमा बेतदागोन तक गई। यह सीमा जबूलून और यिप्तहेल की घाटी को छू रही थी। तब यह सीमा बेतेमेक और नीएल के उत्तर को गई थी। यह सीमा काबूल के उत्तर से गई थी।
राजा हीराम ने कहा, “मेरे भाई जो नगर तुम ने मुझे दिये हैं वे हैं ही क्या” राजा हीराम ने उस प्रदेश का नाम कबूल प्रदेश रखा और वह क्षेत्र आज भी कबूल कहा जाता है।