“किन्तु कुछ लोग बच निकलेंगे। वे बचे लोग भाग कर पहाड़ों में चल जाएंगे। किन्तु वे लोग सुखी नहीं होंगे। वे अपने पापों के कारण दुःखी होंगे। वे चिल्लायेंगे और कबूतरों की तरह दुःख—भरी आवाज़ निकालेंगे।
“यहोवा, इस्राएल का परमेश्वर, तू अच्छा है! और तू अब भी हम में से कुछ को जीवित रहने देगा। हाँ, हम अपराधी हैं! और अपने अपराध के कारण हम में किसी को भी तेरे सामने खड़े होने नहीं दिया जाना चाहिये।”
यह सत्य है किन्तु फिर भी सर्वशक्तिशाली यहोवा ने कुछ लोगों को वहाँ जीवित रहने के लिये छोड़ दिया था। सदोम और अमोरा नगरों के समान हमारा पूरी तरह विनाश नहीं किया गया था।
“यहूदा के परिवार के कुछ लोग बच जायेंगे। वे ही लोग बढ़ते हुए एक बहुत बड़ी जाति का रुप ले लेंगे। वे लोग उन वृक्षों के समान होंगे जिनकी जड़ें धरती में बहुत गहरी जाती हैं और जो बहुत तगड़े हो जाते हैं और बहुत से फल (संतानें) देते हैं।
मैं कबूतर सा रोता रहा। मैं एक पक्षी जैसा रोता रहा। मेरी आँखें थक गयी तो भी मैं लगातर आकाश की तरफ निहारता रहा। मेरे स्वामी, मैं विपत्ति में हूँ मुझको उबारने का वचन दे।”
हम सब बहुत दु:खी हैं। हम सब ऐसे कराहते हैं जैसे कोई रीछ और कोई कपोत कराहता हैं। हम ऐसे उस समय की बाट जोह रहे हैं जब लोग निष्पक्ष होंगे किन्तु अभी तक तो कहीं भी नेकी नहीं है। हम उद्धार की बाट जोह रहे हैं किन्तु उद्धार बहुत—बहुत दूर है।
क्यों क्योंकि हमने अपने परमेश्वर के विरोध में बहुत पाप किये हैं। हमारे पाप बताते हैं कि हम बहुत बुरे हैं। हमें इसका पता है कि हम इन बुरे कर्मों को करने के अपराधी हैं।
तुम नंगी पहाड़ियों पर रोना सुन सकते हो। इस्राएल के लोग कृपा के लिये रो रहे और प्रार्थना कर रहे हैं। वे बहुत बुरे हो गए थे। वे अपने परमेश्वर यहोवा को भूल गए थे।
लौटते समय वे लोग रो रहे होंगे। किन्तु मैं उनकी अगुवाई करुँगा और उन्हें आराम दूँगा। मैं उन लोगों को पानी के नालों के साथ लाऊँगा। मैं उन्हें अच्छी सड़क से लाऊँगा जिससे वे ठोकर खाकर न गिरें। मैं उन्हें इस प्रकार लाऊँगा क्योंकि मैं इस्राएल का पिता हूँ और एप्रैम मेरा प्रथम पुत्र है।
इन थोड़े बचे हुओं में से, जो मिस्र में रहने चले गए हैं, कोई भी मेरे दण्ड से नहीं बचेगा। उनमें से कोई भी यहूदा वापस आने के लिये नहीं बच पायेगा। वे लोग यहूदा वापस लौटना और वहाँ रहना चाहते हैं किन्तु उनमें से एक भी व्यक्ति संभवत: कुछ बच निकलने वालों के अतिरिक्त वापस नहीं लौटेगा।’”
यहूदा के कुछ लोग तलवार से मरने से बच निकलेंगे। वे मिस्र से यहूदा वापस लौटेंगे। किन्तु बहुत थोड़े से यहूदा के लोग बच निकलेंगे। तब यहूदा के बचे हुए वे लोग जो मिस्र में आकर रहेंगे यह समझेंगे कि किसका सन्देश सत्य घटित होता है। वे जानेंगे कि मेरा सन्देश अथवा उनका सन्देश सच निकलता है।
“जोर से रोने की आवाजें सिय्योन से सुनी जा रही हैं। ‘हम सचमुच बरबाद हो गए। हम सचमुच लज्जित हैं। हमें अपने देश को छोड़ देना चाहिये, क्योंकि हमारे घर नष्ट और बरबाद हो गये हैं। हमारे घर अब केवल पत्थरों के ढेर हो गये हैं।’”
उस देश से कुछ लोग बच निकलेंगे। वे अपने पुत्र—पुत्रियों को लाएंगे और तुम्हारे पास सहायता के लिये आएंगे। तब तुम जानोगे कि वे लोग सचमुच कितने बुरे हैं। तुम उन विपत्तियों के सम्बन्ध में उचित होने की धारणा बनाओगे जिन्हें मैं यरूशलेम पर लाऊँगा।
तुम उन बुरे कामों को याद करोगे जो तुमने किये। तुम याद करोगे कि वे काम अच्छे नहीं थे। तब तुम अपने पापों और जो भयंकर काम किये उनके लिये तुम स्वयं अपने से घृणा करोगे।”
यहोवा के न्याय का विशेष दिन शीघ्र आ रहा है! वह दिन निकट है, और तेज़ी से आ रहा है। यहोवा के न्याय के विशेष दिन लोग चीखों भरे स्वर सुनेंगे। यहाँ तक कि वीर योद्धा भी चीख उठेंगे!