एक मुख मनुष्य का था जो एक ओर खजूर के पेड़ को देख रहा था। दूसरा मुख सिंह का था जो दूसरी ओर खजूर के वृक्ष को देखता था। वे मन्दिर के चारों ओर उकेरे गये थे।
हर एक करुब (स्वर्गदूत) चार मुखों वाला था। पहला मुख करुब का था। दूसरा मुख मनुष्य का था। तीसरा सिंह का मुख था और चौथा उकाब का मुख था। तब मैंने जाना कि (ये करुब स्वर्गदूत वे जानवर थे जिन्हें मैंने कबार नदी के दर्शन में देखा था!) तब करुब (स्वर्गदूत) हवा में उठे।