तब उस व्यक्ति ने मन्दिर को नापा। मन्दिर सौ हाथ लम्बा था। भवन और इसकी दीवार के साथ आँगन भी सौ हाथ लम्बे थे।
उस व्यक्ति ने आँगन को नापा। आँगन पूर्ण वर्गाकार था। यह सौ हाथ लम्बा और सौ हाथ चौड़ा था। वेदी मन्दिर के सामने थी।
पश्चिमी ओर मन्दिर के आँगन के सामने का भवन सत्तर हाथ चौड़ा था। भवन की दीवार चारों ओर पाँच हाथ मोटी थी। यह नब्बे हाथ लम्बी थी।
मन्दिर का पूर्वी मुख और आँगन सौ हाथ चौड़ा था।
उस व्यक्ति ने उस भवन की लम्बाई को नापा जिसका सामना मन्दिर के पीछे के आँगन की ओर था तथा जिसकी दीवारें दोनों ओर थीं। यह सौ हाथ लम्बा था। बीच के कमरे के भीतरी कमरे (पवित्र स्थान) और आँगन के प्रवेश कक्ष पर चौखटें लगीं थीं।
तब वह व्यक्ति मुझे बाहरी आँगन में ले गया जिसका सामना उत्तर को था। वह उन कमरों में ले गया जो मन्दिर से आँगन के आर—पार और उत्तर के भवनों के आर—पार थे।
बाहरी दीवार के आरम्भ में, दक्षिण की ओर मन्दिर के आँगन के सामने और मन्दिर के भवन की दीवार के बाहर, कमरे थे। इन कमरों के सामने
उत्तर की ओर का भवन सौ हाथ लम्बा और पचास हाथ चौड़ा था।
यह बाहरी आँगन को ले जाती थी। यह कमरों के आर—पार थी। यह पचास हाथ लम्बी थी।