तब दाऊद ने अपने पुत्र सुलैमान को मन्दिर बनाने के लिये योजनाएँ दीं। वे योजनाएँ मन्दिर के चारों ओर प्रवेश—कक्ष बनाने, इसके भवन, इसके भंडार—कक्ष, इसके ऊपरी कक्ष, इसके भीतरी कक्ष और दयापीठ के स्थान के लिये थी।
रक्षकों के कमरे एक छड़ लम्बे और एक छड़ चौड़े थे। कमरों के बीच के दीवारों की मोटाई पाँच हाथ थी। भीतर की ओर फाटक के प्रवेश कक्ष के बगल में फाटक की देहली एक छड़ चौड़ी थी।
यह एक छड़ चौड़ा था। तब उस व्यक्ति ने फाटक के प्रवेश कक्ष को नापा। यह आठ हाथ था। उस व्यक्ति ने फाटक के द्वार—स्तम्भों को नापा। हर एक द्वार स्तम्भ दो हाथ चौड़ा था। प्रवेश कक्ष का दरवाजा भीतर को था।