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क्रॉस रेफरेंस
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यहेजकेल 40:16

पवित्र बाइबल

रक्षकों के कमरों में चारों ओर छोटी खिड़कियाँ थी। छोटे कमरों में द्वार—स्तम्भों की ओर भीतर को खिड़कियाँ अधिक पतली हो गई थीं। प्रवेश कक्ष में भी भीतर के चारों ओर खिड़कियाँ थीं। हर एक द्वार स्तम्भ पर खजूर के वृक्ष खुदे थे।

अध्याय देखें प्रतिलिपि

29 क्रॉस रेफरेंस  

मुख्य कक्ष और भीतरी कक्ष के चारों ओर की दीवारों पर करूब (स्वर्गदूतों) ताड़ के वृक्षों और फूल के चित्र उकेरे गए थे।

उन्होंने दोनों दरवाजों को जैतून की लकड़ी का बनाया। कारीगरों ने दरवाजों पर करूब (स्वर्गदूतों), ताड़ के वृक्षों और फूलों के चित्रों को उकेरा। तब उन्होंने दरवाजों को सोने से मढ़ा।

वहाँ दो दरवाजे थे। हर एक दरवाजे के दो भाग थे, अत: दोनों दरवाजे मुड़कर बन्द होते थे। उन्होंने दरवाजों पर करूब (स्वर्गदूत) ताड़ के वृक्षों और फूलों के चित्रों को उकेरा। तब उन्होंने उन्हें सोने से मढ़ा।

मन्दिर में संकरी खिड़कियाँ थीं। ये खिड़कियाँ बाहर की ओर संकरी और भीतर की ओर चौड़ी थीं।

बगल की हर एक दीवार में खिड़कियों की तीन पंक्तियाँ थीं। खिड़कियाँ परस्पर आमने—सामने थीं।

सुलैमान ने बड़े कमरों की दीवार पर सनोवर लकड़ी की बनी चौकोर सिल्लियाँ रखीं। तब उसने सनोवर की सिल्लियों को शुद्ध सोने से मढ़ा और उसने शुद्ध सोने पर खजूर के चित्र और जंजीरें बनाईं।

सज्जन लोग तो लबानोन के विशाल देवदार वृक्ष की तरह है जो यहोवा के मन्दिर में रोपे गए हैं।

हर एक कमरे के सामने एक नीची दीवार थी। यह दीवार एक हाथ ऊँची और एक हाथ मोटी थी। कमरे वर्गाकार थे और हर ओर से छ: हाथ लम्बे थे।

प्रवेश कक्ष का फाटक पूरे बाहर की ओर से, फाटक के भीतर तक नाप से पचास हाथ था।

वे नाप में उतने ही थे जितने अन्य फाटक। मुख्य द्वार पचास हाथ लम्बे और पच्चीस हाथ चौड़े थे।

सात पैड़ियाँ इस फाटक तक पहुँचाती थीं। इसका प्रवेश कक्ष भीतर को था। हर एक ओर एक—एक द्वार—स्तम्भ पर खजूर की नक्काशी थी।

दक्षिण फाटक के कमरे, द्वार—स्तम्भ और प्रवेश कक्ष की नाप उतनी ही थी जितनी अन्य फाटकों की थी। खिड़कियाँ, फाटक और प्रवेश कक्ष के चारों ओर थी। फाटक पचास हाथ लम्बा और पच्चीस हाथ चौड़ा था। उसके चारों ओर प्रवेश कक्ष थे।

प्रवेश कक्ष पच्चीस हाथ लम्बा और पाँच हाथ चौड़ा था।

दक्षिण फाटक के प्रवेश कक्ष का सामना बाहरी आँगन की ओर था। इसके द्वार—स्तम्भों पर खजूर के पेड़ों की नक्काशी थी। इसकी सीढ़ी की आठ पैड़ियाँ थीं।

पूर्वी द्वार के कमरे, द्वार—स्तम्भ और प्रवेश कक्ष के नाप वही थे जो अन्य फाटकों के। फाटक और प्रवेश कक्ष के चारों ओर खिड़कियाँ थीं। पूर्वी फाटक पचास हाथ लम्बा और पच्चीस हाथ चौड़ा था।

इसके प्रवेश कक्ष का सामना बाहरी आँगन की ओर था। हर एक ओर के द्वार—स्तम्भों पर खजूर के पेड़ों की नक्काशी थी। इसकी सीढ़ी में आठ पैड़ियाँ थीं।

इसके कमरों, द्वार—स्तम्भों और प्रवेश कक्ष की। फाटक के चारों ओर खिड़कियाँ थीं। यह पचास हाथ लम्बा और पच्चीस हाथ चौड़ा था।

द्वार—स्तम्भों का सामना बाहरी आँगन की ओर था। हर एक ओर के द्वार—स्तम्भों पर खजूर के पेड़ों की नक्काशी थी और इसकी सीढ़ी की आठ पैड़ियाँ थीं।

रक्षकों के कमरे एक छड़ लम्बे और एक छड़ चौड़े थे। कमरों के बीच के दीवारों की मोटाई पाँच हाथ थी। भीतर की ओर फाटक के प्रवेश कक्ष के बगल में फाटक की देहली एक छड़ चौड़ी थी।

करुब (स्वर्गदूतों) और खजूर के वृक्षों की नक्काशी की गई थी। करुब (स्वर्गदूतों) के बीच एक खजूर का वृक्ष था। हर एक करुब (स्वर्गदूतों) के दो मुख थे।

बीच के कमरे (पवित्र स्थान) के दरवाजों पर करुब (स्वर्गदूत) और खजूर के वृक्ष उकेरे गए थे। वे वैसे ही थे जैसे दीवारों पर उकेरे गए थे। बाहर की ओर प्रवेश कक्ष के बाहरी हिस्से पर लकड़ी की नक्काशी थी

और प्रवेश कक्ष के दोनों ओर खिड़कियों के दीवारों पर और प्रवेश कक्ष के ऊपरी छत में तथा मन्दिर के चारों ओर के कमरों खजूर के वृक्ष अंकित थे।

तब वह व्यक्ति अन्दर गया और हर एक द्वार—स्तम्भ को नापा। हर एक द्वार—स्तम्भ दो हाथ मोटा था। यह छ: हाथ ऊँचा था। द्वार सात हाथ चौड़ा था।

वहाँ छज्जों के तीन मंजिल इन भवनों की दीवारों पर थे। वे एक दूसरे के सामने थे। भीतरी आँगन और बाहरी आँगन के पक्के रास्ते के बीच बीस हाथ खुला क्षेत्र था।

यरूशलेम में भेड़-द्वार के पास एक तालाब है, इब्रानी भाषा में इसे “बेतहसदा” कहा जाता है। इसके किनारे पाँच बरामदे बने हैं

क्योंकि अभी तो दर्पण में हमें एक धुँधला सा प्रतिबिंब दिखायी पड़ रहा है किन्तु पूर्णता प्राप्त हो जाने पर हम पूरी तरह आमने-सामने देखेंगे। अभी तो मेरा ज्ञान आंशिक है किन्तु समय आने पर वह परिपूर्ण होगा। वैसे ही जैसे परमेश्वर मुझे पूरी तरह जानता है।

इसके बाद मैंने देखा कि मेरे सामने एक विशाल भीड़ खड़ी थी जिसकी गिनती कोई नहीं कर सकता था। इस भीड़ में हर जाति के हर वंश के, हर कुल के तथा हर भाषा के लोग थे। वे उस सिंहासन और उस मेमने के आगे खड़े थे। वे श्वेत वस्त्र पहने थे और उन्होंने अपने हाथों में खजूर की टहनियाँ ली हुई थीं।




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