उन्होंने पाप किया और अपने को गन्दा बनाया। अत: मैंने उन्हें उन कामों के लिये दण्ड दिया जो उन्होंने किये। अत: मैंने उनसे अपना मुँह छिपाया है और उनको सहायता देने से इन्कार किया।”
तुमने बुरे काम किये, और वे बुरी चीजें तुम्हें केवल दण्ड दिलाएंगी। विपत्तियाँ तुम पर टूट पड़ेंगी और ये विपत्तियाँ तुम्हें पाठ पढ़ाएंगी। इस विषय में सोचो: तब तुम यह समझोगे कि अपने परमेश्वर से विमुख हो जाना कितना बुरा है। मुझसे न डरना बुरा है।” यह सन्देश मेरे स्वामी सर्वशक्तिमान यहोवा का था।
“जिस प्रकार तुम रहे और तुमने पाप किया उसी से तुम पर यह विपत्ति आई। यह तुम्हारे पाप ही हैं जिसने जीवन को इतना कठिन बनाया है। यह तुम्हारा पाप ही है जो उस पीड़ा को लाया जो तुम्हारे हृदय को बेधती है।”
मैं उनसे अपना मुँह फेर लूँगा, मैं उनकी ओर नहीं देखूँगा। वे अजनबी मेरे मन्दिर को नष्ट करेंगे, वे उस पवित्र भवन के गोपनीय भागों में जाएंगे और उसे अपवित्र करेंगे।
उस समय, मैं इन पर पहुत क्रोधित होऊँगा और इन्हें छोड़ दूँगा। मैं उनकी सहायता करना बन्द करुँगा और वे नष्ट हो जाएँगे। उनके साथ भयंकर घटनायें होंगी और वे विपत्ति में पड़ेंगे। तब वे कहेंगे, ‘ये बुरी घटनायें हम लोगों के साथ इसलिए हो रही हैं कि हमारा परमेश्वर हमारे साथ नहीं है।’