तुम अपनी बगल से और अपने कन्धों से धक्का देकर और अपनी सींगों से सभी कमजोर भेड़ों को तब तक मार गिरोते हो, जब तक तुम उनको दूर चले जाने के लिये विवश नहीं करते।
तुम गरीबों से अनुचित कर वसूलते हो। तुम उनसे ढेर सारा गेहूँ लेते हो और इस धन का उपयोग तुम तराशे पत्थरों से सुन्दर महल बनाने में करते हो। किन्तु तुम उन महलों मे नहीं रहोगे। तुम अंगूरों की बेलों के सुन्दर खेत बनाते हो। किन्तु तुम उनसे प्राप्त दाखमधु को नहीं पीओगे।
लोग दोनों हाथों से बुरा करने में पारंगत हैं। अधिकारी लोग रिश्वत माँगते हैं। न्यायाधीश अदालतों में फैसला बदलने के लिये धन लिया करते हैं। “महत्वपूर्ण मुखिया” खरे और निष्पक्ष निर्णय नहीं लेते हैं। उन्हें जैसा भाता है, वे वैसा ही काम करते हैं।
उनके प्रमुख, स्वामी और व्यापारी के समान हैं। स्वामी अपने भड़ो को मानता है और उन्हें दण्ड नहीं मिलता। व्यापारी भेड़ों को बेचता है और कहता है, ‘यहोवा की महिमा से मैं सम्पन्न हूँ।’ गड़ेरिये अपने भड़ो के लिये दु:खी नहीं होते
यूसुफ के झुण्ड का प्रथम साँड गौरव पाएगा। इसकी सींगें सांड सी लम्बी होंगी। यूसुफ का झुण्ड भगाएगा लोगों को। पृथ्वी की अन्तिम छोर जहाँ तक जाती है। हाँ, वे हैं दस सहस्त्र एप्रैम से हाँ, वे हैं एक सहस्त्र मनश्शे से।”