यदि लोग उस चेतावनी को सुनें किन्तु अनसुनी करें तो शत्रु उन्हें पकड़ेगा और उन्हें बन्दी के रूप में ले जायेगा। यह व्यक्ति अपनी मृत्यु के लिये स्वयं उत्तरदायी होगा।
जब नबी ने यह बोला, अमस्याह ने नबी से कहा, “हम लोगों ने तुम्हें कभी राजा का सलाहकार नहीं बनाया! चुप रहो! यदि तुम चुप नहीं रहे तो मार डाले जाओगे।” नबी चुप हो गया, किन्तु उसने तब कहा, “परमेश्वर ने सचमुच तुमको नष्ट करने का निश्चय कर लिया है। क्योंकि तुम वे बुरी बातें करते हो और मेरी सलाह नहीं सुनते।”
मैंने इन गत तेईस वर्षों में यहोवा के सन्देशों को तुम्हें बार—बार दिया है। मैं यहूदा के राजा आमोन के पुत्र योशिय्याह के राज्यकाल के तेरहवें वर्ष से नबी हूँ। मैंने उस समय से आज तक यहोवा के यहाँ से सन्देशों को तुम्हें दिया है। किन्तु तुमने उसे अनसुना किया है।
किसी व्यक्ति को उस पापी पुत्र से ऋण लेने की आवश्यकता हो सकती है। वह पुत्र उसे मुद्रा ऋण दे सकता है, किन्तु वह उस व्यक्ति को उस ऋण पर ब्याज देने के लिये विवश करेगा। अत: वह पापी पुत्र जीवित नहीं रहेगा। उसने भयंकर पाप किये अत: मार दिया जाएगा और अपनी मृत्यु के लिये वह स्वयं ही उत्तरदायी है।
उसने तुरही सुनी, पर चेतावनी अनसुनी की। इसलिये अपनी मृत्यु के लिये वह स्वयं दोषी है। यदि उसने चेतावनी पर ध्यान दिया होता तो उसने अपना जीवन बचा लिया होता।
किन्तु यदि तुम उस बुरे व्यक्ति को अपना जीवन बदलने के लिये और पाप करना छोड़ने के लिये चेतावनी देते हो और यदि वह पाप करना छोड़ने से इन्कार करता है तो वह मरेगा क्योंकि उसने पाप किया, किन्तु तुमने अपना जीवन बचा लिया।”
“यदि कोई व्यक्ति अपने माता पिता के अनिष्ट की कामना करता है तो उस व्यक्ति को मार डालना चाहिए। उसने अपने पिता या माँ का अनिष्ट चाहा है, इसलिए उसे दण्ड देना चाहिए।
सो जब उन्होंने उसका विरोध किया और उससे भला बुरा कहा तो उसने उनके विरोध में अपने कपड़े झाड़ते हुए उनसे कहा, “तुम्हारा खून तुम्हारे ही सिर पड़े। उसका मुझ से कोई सरोकार नहीं है। अब से आगे मैं ग़ैर यहूदियों के पास चला जाऊँगा।”