सो यहोवा उन पर क्रोधित हो गया। यहोवा ने उनके विरुद्ध भयानक लड़ाईयाँ भड़कवा दीं। यह ऐसे हुआ जैसे इस्राएल के लोग आग में जल रहे हों और वे जान ही न पाये हों कि क्या हो रहा है। यह ऐसा था जैसे वे जल रहे हों। किन्तु उन्होंने जो वस्तुएँ घट रही थीं, उन्हें समझने का जतन ही नहीं किया।
अत: मैं अपना क्रोध प्रकट करुँगा, मैंउन्हें पूरी तरह नष्ट करूँगा! मैं उन्हें उन बुरे कामों के लिये दण्डित करुँगा जिन्हें उन्होंने किये हैं। यह सब उनका दोष है!” मेरे स्वामी यहोवा ने ये बातें कहीं।
“‘अतीत काल में इस्राएल के चारों ओर के देश उससे घृणा करते थे। किन्तु उन अन्य देशों के लिये बुरी घटनायें घटेंगी। कोई भी तेज काँटे या कंटीली झाड़ी इस्राएल के परिवार को घायल करने वाली नहीं रह जाएगी। तब वे जानेंगे कि मैं उनका स्वामी यहोवा हूँ।’”
वे उस देश में सुरक्षित रहेंगे। वे घर बनायेंगे तथा अंगूर की बेलें लगाएंगे। मैं उसके चारों ओर के राष्ट्रों को दण्ड दूँगा जिन्होंने उससे घृणा की। तब इस्राएल के लोग सुरक्षित रहेंगे। तब वे समझेंगे कि मैं उनका परमेश्वर यहोवा हूँ।”
और इस्राएल का परिवार फिर कभी मिस्र पर आश्रित नहीं रहेगा। इस्राएली अपने पाप को याद रखेंगे। वे याद रखेंगे कि वे सहायता के लिये मिस्र की ओर मुड़े, परमेश्वर की ओर नहीं और वे समझेंगे कि मैं यहोवा और स्वामी हूँ।”
तब मिस्र में रहने वाले सभी लोग जानेंगे कि मैं यहोवा हूँ! “‘मैं इन कामों को क्यों करूँगा? क्योंकि इस्राएल के लोग सहारे के लिये मिस्र पर झुके, किन्तु मिस्र केवल दुर्बल घास का तिनका निकला।
मिस्र खाली और नष्ट हो जाएगा। तब वे समझेंगे कि मैं यहोवा हूँ।” परमेश्वर ने कहा, “मैं वे काम क्यों करूँगा क्योंकि तुमने कहा, ‘यह मेरी नदी है। मैंने इस नदी को बनाया।’
अत: मैं रब्बा की दीवार पर आग लगाऊँगा। यह आग रब्बा के ऊँचे किलों को नष्ट करेगी। युद्ध के दिन यह आग लगेगी। यह आग एक ऐसे दिन लगेगी जब तूफ़ानी दिन में आंधियाँ चल रही होंगी।