तब प्राणियों के पंख हिलने आरम्भ हुए। पंखों ने, जब एक दूसरे को छुआ, तो उन्होंने बड़ी तेज आवाज की और उनके सामने के चक्र बिजली की कड़क की तरह प्रचण्ड घोष करने लगे!
तूत वृक्षों की चोटी से तुम पलिश्तियों के सामरिक प्रमाण की ध्वनि को सुनोगे। तब तुम्हें शीघ्रता करनी चाहिये, क्योंकि उस समय यहोवा जायेगा और तुम्हारे लिये पलिश्तियों को हरा देगा।”
हर एक गाड़ी में चार काँसे के पहिये काँसे की धुरी के साथ थे। कोनों पर विशाल कटोरे के लिए काँसे के आधार बने थे। आधारों पर हथौड़े से फूलों के आकर काँसे में उभारे गए थे।
जब मैंने प्राणियों को देखा तो चार चक्र देखे! हर एक प्राणी के लिये एक चक्र था। चक्र भूमि को छू रहे थे और एक समान थे। चक्र ऐसे दिख रहे थे मानों पीली शुद्ध मणि के बने हों। वे ऐसे दिखते थे मानों एक चक्र के भीतर दूसरा चक्र हो।
जब कभी वे प्राणी चलते थे, उनके पंख बड़ी तेज ध्वनि करते थे। वह ध्वनि समुद्र के गर्जन जैसी उत्पन्न होती थी। वह सर्वशक्तिमान परमेश्वर के समीप से निकलने के वाणी के समान थी। वह किसी सेना के जन—समूह के शोर की तरह थी। जब वे प्राणी चलना बन्द करते थे तो वे अपने पंखो को अपनी बगल में समेट लेते थे।
तब मैंने करूब (स्वर्गदूतों) के पंखों की फड़फड़ाहट पूरे बाहरी आँगन में सुनी जा सकती थी। बाहरी आँगन में फड़फड़ाहट बड़ी प्रचण्ड थी, वैसी ही जैसी सर्वशक्तिमान परमेश्वर की गरजती वाणी होती है, जब वह बातें करता है।