मैं मिस्र के बंदियों को वापस लाऊँगा। मैं मिस्रियों को पत्रास के प्रदेश में, जहाँ वे उत्पन्न हुए थे, वापस लाऊँगा। किन्तु उनका राज्य महत्वपूर्ण नहीं होगा।
ऐसे अवसर पर, मेरा स्वामी परमेश्वर फिर आयेगा और उसके जो लोग बच गये थे उन्हें वह ले जायेगा। यह दूसरा अवसर होगा जब परमेश्वर ने वैसा किया। (ये परमेश्वर के ऐसे लोग हैं जो अश्शूर, उत्तरी मिस्र, दक्षिणी मिस्र, कूश, एलाम, बाबुल, हमात तथा समस्त संसार के ऐसे ही सुदूर देशों में छूट गये हैं।)
यिर्मयाह को यहोवा से एक सन्देश मिला। यह सन्देश मिस्र में रहने वाले यहूदा के सभी लोगों के लिये था। यह सन्देश यहूदा के उन लोगों के लिए था जो मिग्दोल, तहपन्हेस, नोप और दक्षिणी मिस्र में रहते थे। सन्देश यह था:
मिस्र में रहने वाली यहूदा की स्त्रियों में से अनेक अन्य देवताओं को बलि भेंट कर रही थी। उनके पति इसे जानते थे, किन्तु उन्हें रोकते नहीं थे। वहाँ यहूदा के लोगों का एक विशाल समूह एक साथ इकट्ठा होता था। वे यहूदा के लोग थे जो दक्षिणी मिस्र में रह रहे थे। उन सभी व्यक्तियों ने यिर्मयाह से कहा,
इस प्रकार यहूदा एक दुर्बल राज्य बन गया, जो राजा नबूकदनेस्सर के विरुद्ध नहीं उठ सकता था। यहूदा के नये राजा के साथ नबूकदनेस्सर ने जो सन्धि की थी उसका पालन करने के लिये लोग विवश किये गये।
(यह वैसा ही होगा, जैसा यह पहले तब था, जब परमेश्वर उन्हें मिस्र से निकाल लाया था। उसने समुद्र की तरंगों पर चोट की थी। समुद्र फट गया था और लोग विपत्ति के समुद्र को पैदल पार कर गए थे। यहोवा नदियों की धाराओंको सुखा दगा। वे अश्शूर के गर्व और मिस्र की शक्ति को नष्ट कर देगा)