गबल के अग्रज प्रमुख और बुद्धिमान व्यक्ति जहाज़ के तख्तों के बीच कल्किन लगाने में सहायता के लिये जहाज़ पर थे। समुद्र के सारे जहाज और उनके चालक तुम्हारे साथ व्यापार और वाणिज्य करने आते थे।
तब सुलैमान के कारीगरों और हीराम के कारीगरों तथा गबाली के व्यक्तियों ने पत्थरों पर नक्काशी का काम किया। उन्होंने मन्दिर को बनाने के लिये पत्थरों और लट्ठों को तैयार किया।
क्योंकि उसने सब जनों को व्यभिचार के क्रोध की मदिरा पिलायी थी। इस जगत के शासकों ने जो स्वयं जगाई थी उससे व्यभिचार किया था। और उसके भोग व्यय से जगत के व्यापारी सम्पन्न बने थे।”