परमेश्वर कहता है, “मैं तुम लोगों को दण्ड क्यों देता रहूँ मैंने तुम्हें दण्ड दिया किन्तु तुम नहीं बदले। तुम मेरे विरुद्ध विद्रोह करते ही रहे। अब हर सिर और हर हृदय रोगी है।
परमेश्वर यद्यपि लोगों को दण्ड देगा, किन्तु वे फिर भी पाप करना नहीं छोंड़ेंगे। वे परमेश्वर की ओर नहीं मुड़ेंगे। वे सर्वशक्तिमान यहोवा का अनुसरण नहीं करेंगे।
“यहूदा के लोगों, मैंने तुम्हारे लोगों को दण्ड दिया, किन्तु इसका कोई परिणाम न निकला। तुम तब लौट कर नहीं आए जब दण्डित किये गये। तुमने उन नबियों को तलवार के घाट उतारा जो तुम्हारे पास आए। तुम खूंखार सिंह की तरह थे और तुमने नबियों को मार डाला।”
हे यहोवा, मैं जानता हूँ कि तू लोगों में सच्चाई देखना चाहता है। तूने यहूदा के लोगों को चोट पहुँचाई, किन्तु उन्होंने किसी पीड़ा का अनुभव नहीं किया। तूने उन्हें नष्ट किया, किन्तु उन्होंने अपना सबक सीखने से इन्करा कर दिया। वे बहुत हठी हो गए। उन्होंने अपने पापों के लिये पछताने से इन्कार कर दिया।
वे उस श्रमिक की तरह हैं जिसने चाँदी को शुद्ध करने की कोशिश की। उसकी धोकनी तेज चली, आग भी तेज जली, किन्तु आग से केवल रांगा निकला। यह समय की बरबादी थी जो शुद्ध चाँदी बनाने का प्रयत्न किया गया। ठीक इसी प्रकार मेरे लोगों से बुराई दूर नहीं की जा सकी।
तुमने मेरे विरुद्ध पाप किया और पाप से कलंकित हुई। मैंने तुम्हें नहलाना चाहा और तुम्हें स्वच्छ करना चाहा! किन्तु दाग छूटे नहीं। मैं तुमको फिर नहलाना नहीं चाहूँगा। जब तक मेरा तप्त क्रोध तुम्हारे प्रति समाप्त नहीं होता।