हर एक प्राणी इस प्रकार दिखता था। उन प्राणियों के बीच के स्थान में जलती हुई कोयले की आग सी दिख रही थी। यह आग छोटे—छोटे मशालों की तरह उन प्राणियों के बीच चल रही थी। आग बड़े प्रकाश के साथ चमक रही थी और बिजली की तरह कौंध रही थी!
यहोवा मुझे वहाँ ले आया। वहाँ एक व्यक्ति था जो झलकाये गये काँसे की तरह चमकता हुआ दिखता था। वह व्यक्ति एक कपड़े नापने का फीता और नापने की एक छड़ अपने हाथ में लिये था। वह फाटक से लगा खड़ा था।
उसका शरीर चमचमाते पत्थर के जैसी थी। उसका मुख बिजली के समान उज्जवल था! उसकी बाहें और उसके पैर चमकदार पीतल से झिलमिला रहे थे! उसकी आवाज़ इतनी ऊँची थी जैसे लोगों की भीड़ की आवाज़ होती है!
वे उपदेश इसलिए हैं कि लोग शुद्ध जानवरों और घिनौने जानवरों में अन्तर कर सकें। इस, प्रकार लोग जानेंगे कि कौन सा जानवर खाने योग्य है और कौन सा खाने योग्य नहीं है।