वे प्राणी जब चलते थे तो मुड़ते नहीं थे। वे उसी दिशा में चलते थे जिसे वे देख रहे थे। वे वहीं जाते थे जहाँ आत्मा उन्हें ले जाती थी।
वे चक्र किसी भी दिशा में घूम सकते थे। किन्तु वे प्राणी जब चलते थे तो घूम नहीं सकते थे।
उनके पंख एक दूसरे को छूते थे। जब वे चलते थे, मुड़ते नहीं थे। वे उसी दिशा में चलते थे जिसे देख रहे थे।
करुब (स्वर्गदूतों) के वही चार मुख थे जो कबार नदी के दर्शन के प्राणियों के थे और वे सीधे आगे उस दिशा में देखते थे, जिधर वे जा रहे थे।
क्या सभी स्वर्गदूत उद्धार पाने वालों की सेवा के लिये भेजी गयी सहायक आत्माएँ हैं?