सो परमेश्वर के वचन किसी विचित्र भाषा के जैसे हो जाएँगे। “सौ लासौ सौ लासौ काव लाकाव काव लाकाव ज़ेईर शाम ज़ेईर शाम।” सो लोग जब चलेंगे तो पीछे की ओर लुढ़क जाएँगे और जख्मी होंगे। लोगों को फँसा लिया जाएगा और वे पकड़े जाएँगे।
इन बातों के कारण मेरा स्वामी यहोवा कहता है: “मैं एक पत्थर—एक कोने का पत्थर—सिय्योन में धरती पर गाड़ूँगा। यह एक अत्यन्त मूल्यवान पत्थर होगा। इस अति महत्त्वपूर्ण पत्थर पर ही हर किसी वस्तु का निर्माण होगा। जिसमें विश्वास होगा, वह कभी घबराएगा नहीं।
हम ऐसे लोग हैं जिनके पास आँखें नहीं है। नेत्रहीन लोगों के समान हम दीवारों को टटोलते चलते हैं। हम ठोकर खाते हैं और गिर जाते हैं जैसे यह रात हो। दिन के प्रकाश में भी हम मुर्दों की भाँति गिर पड़ते हैं।
अत: यहोवा जो कहता है, वह यह है: “मैं यहूदा के लोगों के सामने समस्यायें रखूँगा। वे लोगों को गिराने वाले पत्थर से होंगे। पिता और पुत्र उन पर ठोकर खाकर गिरेंगे। मित्र और पड़ोसी मरेंगे।”
किन्तु हम तो बस क्रूस पर चढ़ाये गये मसीह का ही उपदेश देते हैं। एक ऐसा उपदेश जो यहूदियों के लिये विरोध का कारण है और ग़ैर यहूदियों के लिये निरी मूर्खता।