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क्रॉस रेफरेंस
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यशायाह 64:6

पवित्र बाइबल

हम सभी पाप से मैले हैं। हमारी सब नेकी पुराने गन्दे कपड़ों सी है। हम सूखे मुरझाये पत्तों से हैं। हमारे पापों ने हमें आँधी सा उड़ाया है।

अध्याय देखें प्रतिलिपि

38 क्रॉस रेफरेंस  

अन्य देशों के लोग भयभीत होंगे, वे अपने छिपने के स्थानों से भय से काँपते निकलेंगे।

“किसी ऐसी वस्तु से जो स्वयं अस्वच्छ है स्वच्छ वस्तु कौन पा सकता है? कोई नहीं।

किन्तु सचमुच परमेश्वर के आगे कोई व्यक्ति उचित नहीं ठहर सकता है। कोई व्यक्ति जो स्त्री से उत्पन्न हुआ सचमुच निर्दोष नहीं हो सकता है।

“मैं तो कुछ कहने के लिये बहुत ही तुच्छ हूँ। मैं तुझसे क्या कह सकता हूँ? मैं तुझे कोई उत्तर नहीं दे सकता। मैं अपना हाथ अपने मुख पर रख लूँगा।

किन्तु दुष्ट जन ऐसे नहीं होते। दुष्ट जन उस भूसे के समान होते हैं जिन्हें पवन का झोका उड़ा ले जाता है।

मेरे लोगों को दुष्टों ने नष्ट कर दिया है। वे दुर्जन परमेश्वर को नहीं जानते हैं। दुष्टों के पास खाने के लिये भरपूर भोजन है। ये जन यहोवा की उपासना नहीं करते।

मैं पाप से जन्मा, मेरी माता ने मुझको पाप से गर्भ में धारण किया।

किन्तु सभी अपराधियों और पापियों का नाश कर दिया जायेगा। (ये वे लोग हैं जो यहोवा का अनुसरण नहीं करते हैं।)

यह इसलिए घटित होगा क्योंकि तुम लोग ऐसे बांजवृक्ष के पेड़ों जैसे हो जाओगे जिनकी पत्तियाँ मुरझा रही हो। तुम एक ऐसे बगीचे के समान हो जाओगे जो पानी के बिना मर रहा होगा।

“याकूब, तूने मुझे नहीं पुकारा। क्यों क्योंकि हे इस्राएल, तेरा मन मुझसे भर गया था।

“तुम में से कुछ सोचा करते हो कि तुम में महान शक्ति है किन्तु तुम भले काम नहीं करते हो। मेरी सुनों।

यहोवा कहता है, “याकूब के परिवार, तू मेरी बात सुन। तुम लोग अपने आप को ‘इस्राएल’ कहा करते हो। तुम यहूदा के घराने से वचन देने के लिये यहोवा का नाम लेते हो। तुम इस्राएल के परमेश्वर की प्रशंसा करते हो। किन्तु जब तुम ये बातें करते हो तो सच्चे नहीं होते हो और निष्ठावान नहीं रहते।

यहोवा कहता है, “हे इस्राएल के लोगों, तुम कहा करते थे कि मैंने तुम्हारी माता यरूशलेम को त्याग दिया। किन्तु वह त्यागपत्र कहाँ है जो प्रमाणित कर दे कि मैंने उसे त्यागा है। हे मेरे बच्चों, क्या मुझको किसी का कुछ देना है क्या अपना कोई कर्ज चुकाने के लिये मैंने तुम्हें बेचा है नहीं! देखो जरा, तुम बिके थे इसलिए कि तुमने बुरे काम किये थे। इसलिए तुम्हारी माँ (यरूशलेम) दूर भेजी गई थी।

जब मैं घर आया था, मैंने वहाँ किसी को नहीं पाया। मैंने बार—बार पुकारा किन्तु किसी ने उत्तर नहीं दिया। क्या तुम सोचते हो कि तुमको मैं नहीं बचा सकता हूँ मैं तुम्हारी विपत्तियों से तुम्हें बचाने की शक्ति रखता हूँ। देखो, यदि मैं समुद्र को सूखने को आदेश दूँ तो वह सूख जायेगा। मछलियाँ प्राण त्याग देंगी क्योंकि वहाँ जल न होगा और उनकी देह सड़ जायेंगी।

किन्तु उसके इतना करने के बाद भी हम सब भेड़ों की तरह इधर—उधर भटक गये। हममें से हर एक अपनी—अपनी राह चला गया। यहोवा द्वारा हमें हमारे अपराधों से मुक्त कर दिये जाने के बाद और हमारे अपराध को अपने सेवक से जोड़ देने पर भी हमने ऐसा किया।

मैं बहुत डर गया था। मैंने कहा, “अरे, नहीं! मैं तो नष्ट हो जाऊँगा। मैं उतना शुद्ध नहीं हूँ कि परमेश्वर से बातें करूँ और मैं ऐसे लोगों के बीच रहता हूँ जो उतने शुद्ध नहीं हैं कि परमेश्वर से बातें कर सकें। किन्तु फिर भी मैंने उस राजा, सर्वशक्तिमान यहोवा, के दर्शन कर लिये हैं।”

वह वाचा यह है: मैं सहायता पाने के लिये यहोवा की प्रतीक्षा करुँगा। यहोवा याकूब के घराने से लज्जित है। वह उनको देखना तक नहीं चाहता है। किन्तु मैं यहोवा की प्रतीक्षा करुँगा, वह हमारी रक्षा करेगा।

वे सभी भयानक बातें हमारे साथ भी घटीं। यह बातें ठीक वैसे ही घटीं, जैसे मूसा के व्यवस्था के विधान में लिखी हुई हैं। किन्तु हमने अभी भी परमेश्वर से सहारा नहीं माँगा है! हमने अभी भी पाप करना नहीं छोड़ा है। हे यहोवा, तेरे सत्य पर हम अभी भी ध्यान नहीं देते।

वे उन देवताओं की शरण में गये और उनकी विचार शक्ति जाती रही। उनकी बलियाँ उनके लिये शर्मिंदगी लेकर आई।

वे सारे लोग भभकते हुये भाड़ से हैं, उन्होंने अपने राजाओं को नष्ट किया था। उनके सब शासको का पतन हुआ था। उनमें से कोई भी मेरी शरण में नहीं आया था।”

“यदि कभी चरमरोग व्यक्ति के सारे शरीर पर फैल जाए, वह चर्मरोग उस व्यक्ति के चरम को सिर से पाँव तक ढकले,

यहोशू दूत के सामने खङा था और यहोशू गन्दे वस्त्र पहने था।

हाँ, मैं जानता हूँ कि मुझ में यानी मेरे भौतिक मानव शरीर में किसी अच्छी वस्तु का वास नहीं है। नेकी करने के इच्छा तो मुझ में है पर नेक काम मुझ से नहीं होते।

मैं एक अभागा इंसान हूँ। मुझे इस शरीर से, जो मौत का निवाला है, छुटकारा कौन दिलायेगा?

और उसी में पाया जा सकूँ-मेरी उस धार्मिकता के कारण नहीं जो व्यवस्था के विधान पर टिकी थी, बल्कि उस धार्मिकता के कारण जो मसीह में विश्वास के कारण मिलती है, जो परमेश्वर से मिलती है और जिसका आधार विश्वास है।

यह मैं इसलिए बता रहा हूँ क्योंकि एक समय था, जब हम भी मूर्ख थे। आज्ञा का उल्लंघन करते थे। भ्रम में पड़े थे। तथा वासनाओं एवं हर प्रकार के सुख-भोग के दास बने थे। हम दुष्टता और ईर्ष्या में अपना जीवन जीते थे। हम से लोग घृणा करते थे तथा हम भी परस्पर एक दूसरे को घृणा करते थे।

तभी उन प्राचीनों में से किसी ने मुझसे प्रश्न किया, “ये श्वेत वस्त्रधारी लोग कौन हैं तथा ये कहाँ से आए हैं?”




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