यरूशलेम में बहुत से लोग हुआ करते थे किन्तु उनमें से कोई भी व्यक्ति उसकी अगुवाई नहीं कर सका। उसने पाल—पोस कर जिन बच्चों को बड़ा किया था, उनमें से कोई भी उसे राह नहीं दिखा सका।
ये वे बातें हैं जिन्हें यहोवा अपने चुने हुए राजा कुस्रू से कहता है: “मैं कुस्रू का दाहिना हाथ थामूँगा। मैं राजाओं की शक्ति छीनने में उसकी सहायता करूँगा। नगर द्वार कुस्रू को रोक नहीं पायेंगे। मैं नगर के द्वार खोल दूँगा, और कुस्रू भीतर चला जायेगा।
फिर तू स्वयं अपने आप से कहेगा, ‘इन सभी बच्चों को मेरे लिये किसने जन्माया यह तो बहुत अच्छा है। मैं दु:खी था और अकेला था। मैं हारा हुआ था। मैं अपने लोगों से दूर था। सो ये बच्चे मेरे लिये किसने पाले हैं देखो जरा, मैं अकेला छोड़ा गया। ये इतने सब बच्चे कहाँ से आ गये?’”
“हे नगरी, हे दुखियारी! तुझको तुफानों ने सताया है और किसी ने तुझको चैन नहीं दिया है। मैं तेरा मूल्यवान पत्थरों से फिर से निर्माण करूँगा। मैं तेरी नींव फिरोजें और नीलम से धरूँगा।
मेरा डेरा बरबाद हो गया। डेरे की सारी रस्सियाँ टूट गई हैं। मेरे बच्चे मुझे छोड़ गये। वे चले गये। कोई व्यक्ति मेरा डेरा लगाने को नहीं बचा है। कोई व्यक्ति मेरे लिये शरण स्थल बनाने को नहीं बचा है।
यह उस वाचा की तरह नहीं होगी जिसे मैंने उनके पूर्वजों के साथ की थी। मैंने वह वाचा तब की जब मैंने उनके हाथ पकड़े और उन्हें मिस्र से बाहर लाया। मैं उनका स्वामी था और उन्होंने वाचा तोड़ी।” यह सन्देश यहोवा का है।
यीशु जब किसी भीड़ को देखता तो उसके प्रति करुणा से भर जाता था क्योंकि वे लोग वैसे ही सताये हुए और असहाय थे, जैसे वे भेड़ें होती हैं जिनका कोई चरवाहा नहीं होता।
अब देख प्रभु का हाथ तुझ पर आ पड़ा है। तू अंधा हो जायेगा और कुछ समय के लिये सूर्य तक को नहीं देख पायेगा।” तुरन्त एक धुंध और अँधेरा उस पर छा गया और वह इधर-उधर टटोलने लगा कि कोई उसका हाथ पकड़ कर उसे चलाये।
यह वाचा वैसा नहीं होगा जैसा मैंने उनके पूर्वजों के साथ उस समय किया था। जब मैंने उनका हाथ मिस्र से निकाल लाने पकड़ा था। क्योंकि प्रभु कहता है, वे मेरे वाचा के विश्वासी नहीं रहे। मैंने उनसे मुँह फेर लिया।