“यहोवा कहता है, हे बाबुल, तू बैठ जा और कुछ भी मत कह। बाबुल की पुत्री, चली जा अन्धेरे में। क्यों? क्योंकि अब तू और अधिक ‘राज्यों की रानी’ नहीं कहलायेगी।
यहोवा ने कहा था, “मैं बाबुल को बदल डालूँगा। उस स्थान में पशुओं का वास होगा, न कि मनुष्यों का। वह स्थान दलदली प्रदेश बन जायेगा। मैं ‘विनाश की झाडू’ से बाबुल को बाहर कर दूँगा।” सर्वशक्तिमान यहोवा ने ये बातें कही थीं।
देखो! वे आ रहे हैं! मुझे घुड़सवारों की पंक्तियाँ दिखाई दे रही हैं।” फिर सन्देशवाहक ने कहा, “बाबुल पराजित हुआ, बाबुल धरती पर ध्वस्त किया गया। उसके मिथ्या देवों की सभी मूर्तियाँ धरती पर लुढ़का दी गई और वे चकनाचूर हो गई हैं।”
हे समुद्र के निकट रहने वाले लोगों, रुको और शोक मनाओ! हे, सीदोन के सौदागरों शोक मनाओ। सिदोन तेरे सन्देशवाहक समुद्र पार जाया करते थे। उन लोगों ने तुझे धन दौलत से भर दिया।
तू कहा करती थी, ‘मैं अमर हूँ। मैं सदा रानी रहूँगी।’ किन्तु तूने उन बुरी बातों पर ध्यान नहीं दिया जिन्हें तूने उन लोगों के साथ किया था। तूने कभी नहीं सोचा कि बाद में क्या होगा।
मैं उन स्थानों पर सुख और आनन्द की किलोलों को बन्द कर दूँगा। वहाँ भविष्य में दुल्हा—दुल्हनों की उमंग भरी हँसी ठिठोली न होगी। मैं चक्की चलाने लोगों के गीतों को दूर कर दूँगा। मैं दीपकों का उजाला खत्म करूँगा।
“‘हम यहाँ खाली क्यों बैठे हैं आओ, दृढ़ नगरों को भाग निकलो। यदि हमारा परमेश्वर यहोवा हमें मारने ही जा रहा है, तो हम वहीं मरें। हमने यहोवा के विरुद्ध पाप किया है अत: परमेश्वर ने हमें पीने को जहरीला पानी दिया है।
एक समय वह था जब यरूशलेम में लोगों की भीड़ थी। किन्तु आज वही नगरी उजाड़ पड़ी हुई हैं! एक समय वह था जब देशों के मध्य यरूशलेम महान नगरी थी! किन्तु आज वही ऐसी हो गयी है जैसी कोई विधवा होती है! वह समय था जब नगरियों के बीच वह एक राजकुमारी सी दिखती थी। किन्तु आज वही नगरी दासी बना दी गयी है।
सिय्योन के बुजुर्ग अब धरती पर बैठते हैं। वे धरती पर बैठते हैं और चुप रहते है। अपने माथों पर धूल मलते हैं और शोक वस्त्र पहनते हैं। यरूशलेम की युवतियाँ दु:ख में अपना माथा धरती पर नवाती हैं।
किन्तु यहोवा इससे भिन्न है! यहोवा अपने पवित्र मन्दिर में रहता है। इसलिये यहोवा के सामने सम्पूर्ण पृथ्वी धरती को चुप रह कर उसके प्रति आदर प्रकट करना चाहिए।
वे समुद्र की ऐसी भयानक लहरें हैं, जो अपने लज्जापूर्ण कार्यों का झाग उगलती रहती हैं। वे इधर-उधर भटकते ऐसे तारे हैं जिनके लिए अनन्त गहन अंधकार सुनिश्चित कर दिया गया है।
क्योंकि जो महिमा और वैभव उसने स्वयं को दिया तुम उसी ढँग से उसे यातनाएँ और पीड़ा दो क्योंकि वह स्वयं अपने आप ही से कहती रही है, ‘मैं अपनी नृपासन विराजित महारानी मैं विधवा नहीं फिर शोक क्यों करूँगी?’
“यहोवा अपने पवित्र लोगों की रक्षा करता है। वह उन्हें ठोकर खाकर गिरने से बचाता है। किन्तु पापी लोग नष्ट किये जाएंगे। वे घोर अंधेरे में गिरेंगे। उनकी शक्ति उन्हें विजय प्राप्त करने में सहायक नहीं होगी।