हे यरूशलेम, तू सम्पन्न है। तू परमेश्वर के ज्ञान और विवेक से सम्पन्न है। तू मुक्ति से भरपूर है। तू यहोवा का आदर करता है और वही आदर तुझे सम्पन्न बनाता है। इसीलिए तू जान सकता है कि तू सदा बना रहेगा।
होवा हिजकिय्याह के साथ था। हिजकिय्याह ने जो कुछ किया, उसमें वह सफल रहा। हिजकिय्याह ने अश्शूर के राजा से अपने को स्वतन्त्र कर लिया। हिजकिय्याह ने अश्शूर के राजा की सेवा करना बन्द कर दिया।
निश्चय ही इस धरती पर कोई ऐसा अच्छा व्यक्ति नहीं है जो सदा अच्छा ही अच्छा करता है और बुरा कभी नहीं करता। बुद्धि व्यक्ति को शक्ति देती है। किसी नगर के दस मूर्ख मुखियाओं से एक साधारण बुद्धिमान पुरुष अधिक शक्तिशाली होता है।
ये सब बातें दिखाती हैं कि वहाँ सब कहीं शांति होगी। कोई व्यक्ति किसी दूसरे को हानि नहीं पहुँचायेगा। मेरे पवित्र पर्वत के लोग वस्तुओं को नष्ट नहीं करना चाहेंगे। क्यों क्योंकि लोग यहोवा को सचमुच जान लेंगे। वे उसके ज्ञान से ऐसे परिपूर्ण होंगे जैसे सागर जल से परिपूर्ण होता है।
मेरे लोग शांति के इस सुन्दर क्षेत्र में निवास करेंगे। मेरे लोग सुरक्षा के तम्बुओं में रहा करेंगे। वे निश्चिंतता के साथ शांतिपूर्ण स्थानों में निवास करेंगे।
हमारे धर्मिक उत्सवों की नगरी, सिय्योन को देखो। विश्राम निवास के उस सुन्दरस्थान यरूशलेम को देखो। यरूशलेम उस तम्बू के समान है जिसे कभी उखाड़ा नहीं जायेगा। वे खूँटे जो उसे अपने स्थान पर थामे रखते हैं, कभी उखाड़े नहीं जायेंगें। उसके रस्से कभी टूटेंगे नहीं।
लोग जो बन्दी हैं, शीघ्र ही मुक्त हो जायेंगे। उन लोगों की मृत्यु काल कोठरी में नहीं होगी और न ही वे कारागार में सड़ते रहेंगे। उन लोगों के पास खाने को पर्याप्त होगा।
ऊपर आकाशों को देखो। अपने चारों ओर फैली हुई धरती को देखो, आकाश ऐसे लोप हो जायेगा जैसे धुएँ का एक बादल खो जाता है और धरती ऐसे ही बेकार हो जायेगी जैसे पुराने वस्त्र मूल्यहीन होते हैं। धरती के वासी अपने प्राण त्यागेंगे किन्तु मेरी मुक्ति सदा ही बनी रहेगी। मेरी उत्तमता कभी नहीं मिटेगी।
लोगों को यहोवा को जानने के लिए अपने पड़ोसियों और रिश्तेदारों को, शिक्षा देना नहीं पड़ेगी। क्यों क्योंकि सबसे बड़े से लेकर सबसे छोटे तक सभी मुझे जानेंगे।” यह सन्देश यहोवा का है। “जो बुरा काम उन्होंने कर दिया उसे मैं क्षमा कर दूँगा। मैं उनके पापों को याद नहीं रखूँगा।”
हमें शोक से व्याकुल समझा जाता है, जबकि हम तो सदा ही प्रसन्न रहते हैं। हम दीन-हीनों के रूप में जाने जाते हैं, जबकि हम बहुतों को वैभवशाली बना रहे हैं। लोग समझते हैं हमारे पास कुछ नहीं है, जबकि हमारे पास तो सब कुछ है।
क्योंकि शारीरिक साधना से तो थोड़ा सा ही लाभ होता है जबकि परमेश्वर की सेवा हर प्रकार से मूल्यवान है क्योंकि इसमें आज के समय और आने वाले जीवन के लिए दिया गया आशीर्वाद समाया हुआ है।